उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के पिता आनंद सिंह बिष्ट का सोमवार को निधन हो गया. लेकिन उनकी अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो पाई. इच्छा पूरी होने से पहले सी सांसो की डोर थम गई. उनके पिता चाहते थे कि वह अपने पैतृक गांव में ही आखिरी सांस लें. लेकिन ऐसा न हो सका और उनकी अंतिम इच्छा (Last Desire) अधूरी रह गई. दिल्ली एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर उन्होंने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया. तबीयत खराब होने पर उन्हें 13 मार्च को दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था. बताया जा रहा है कि उन्हें लिवर और किडनी की समस्या थी.
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उत्तराखंड में यमकेश्वर के पंचूर गांव में रहते थे उनके पिता
इस घटना से हर कोई शोक में हैं. शोकाकुल परिजनों ने बताया कि उनकी आखिरी इच्छा थी कि वह पैतृक घर में ही आखिरी सांस लें. इसीलिए आज सुबह उन्हें गांव ले जाने की तैयारी भी की गई, लेकिन इस दौरान उनका स्वर्गवास हो गया. योगी आदित्यनाथ के पिता उत्तराखंड में यमकेश्वर के पंचूर गांव में रहते थे. वे फॉरेस्ट रेंजर के पद से 1991 में रिटायर हो गए थे. उसके बाद से वे अपने गांव में रह रहे थे.
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सोमवार को हुआ निधन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण फैले होने और लॉकडाउन के विषय पर बैठकों के कारण अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे. आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का सोमवार सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया. एम्स के प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री के पिता के निधन की पुष्टि करते हुये बताया कि वह यकृत की बीमारी से पीड़ित थे. उन्हें 13 मार्च को एम्स के गेस्ट्रो विभाग में भर्ती कराया गया था.
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पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नही होंगे
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के पिता ने सुबह लगभग पौने ग्यारह बजे अंतिम सांस ली. अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने 'भाषा' को फोन पर बताया कि मुख्यमंत्री अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नही होंगे. अवस्थी द्वारा जारी एक बयान में बताया गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है, ''अपने पूज्य पिता जी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुख व शोक है. वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं. जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिये समर्पित भाव से साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया. अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, परन्तु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने के कर्तव्य बोध के कारण ऐसा नहीं हो पाया.
Source : News Nation Bureau