उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के पिता आनंद बिष्ट का आज दिल्ली एम्स में निधन हो गया. वह यकृत की बीमारी से पीड़ित थे. उनकी तबीयत काफी समय से खराब थी. उन्हें 13 मार्च को एम्स के गेस्ट्रो विभाग में भर्ती कराया गया था. योगी आदित्यनाथ के पिता ने सुबह करीब 10.45 बजे आखिरी सांस ली. तभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद लखनऊ में कोरोना वायरस (Corona Virus) पर अधिकारियों के साथ बैठक में थे. पिता के देहांत की सूचना के बाद भी मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक जारी रखी.
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वक्त करीब सुबह के 10.30 बजे का था...लोकभवन की जगह आज टीम 11 की मीटिंग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के सरकारी आवास (5 केडी) पर होनी थी. लेकिन मन में ये सवाल बार बार उठ रहा था कि क्या मुख्यमंत्री मीटिंग करेंगे. क्योंकि बीती रात से ही अफवाहों का सिलसिला सोशल मीडिया पर आंधी की तरह उड़ रहा था. जिसमें प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी के पिता आनंद सिंह बिष्ट के स्वास्थ्य खराब होने की सूचनाएं तैर रही थीं. खैर रोज की तरह समयानुसार मीटिंग के लिए मुख्यमंत्री हॉल में आए, लेकिन आज साफ झलक रहा था कि वो अपने पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है.
अमूमन मुख्यमंत्री मीटिंग के दौरान चेहरे पर लगे मास्क को नीचे रखते हैं, लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ. इससे चेहरे का भाव भले कुछ हद तक छिप जा रहा था,पर आंखों की उदासी,उनकी नमीं बता रही थीं कि सब कुछ ठीक नही. बावजूद इसके राजधर्म का पालन पहली प्राथमिकता पर रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समयानुसार मीटिंग शुरू की. टीम 11 के अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री विचार-विमर्श और कोरोना को लेकर प्रदेश की हालात पर चर्चा करते और अधिकारियों को निर्देश भी देते रहे.
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इसी बीच करीब 10 बजकर 44 मिनट के आसपास मीटिंग में उस व्यक्ति का आना हुआ, जिसे कम ही किसी मीटिंग में आते देखा गया है. बात मुख्यमंत्री के सबसे करीबी शख्स यानी बल्लू राय की हो रही है. बल्लू के चेहरे पर दुख का भाव झलक रहा था. बल्लू ने एक पर्ची मुख्यमंत्री को दी. इसे पढ़कर मुख्यमंत्री जी ने किसी से बात कराने का निर्देश बल्लू को दिया. बल्लू ने फोन लगाया और मुख्यमंत्री जी बात करने लगे.
बात महज एक मिनट की रही होगी और मुख्यमंत्री ने फोन पर कहा कि वह मीटिंग के बाद फिर बात करेंगे. बल्लू चले गये मुख्यमंत्री कुछ सेकंड के लिए शांत हो गए. लेकिन फिर उन्होंने मीटिंग में अधिकारियों से सवाल-जवाब करना शुरू कर दिया. मीटिंग ठीक वैसे ही चलती रही जैसे रोजाना चलती है. इस बीच सबने देखा कि मुख्यमंत्री योगी की आंखें नम हो चुकी हैं. शायद उधर से उन्हें पिता के निधन का समाचार मिला था, लेकिन मुख्यमंत्री होने के नाते उन्होंने प्रदेश की जनता की सेवा सर्वोपरि रखी और कोविड से लड़ने की रणनीति बनाने की मीटिंग करते रहे.
सभी को पता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री होने से पहले वो एक संन्यासी हैं, गोरक्षपीठाधीश्वर हैं. लेकिन पिता के निधन का समाचार मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री की कार्यशैली ठीक वैसे ही चलती रही. एक तरफ जहां आंखों में नमी उनके दुख की सबूत था तो दूसरी तरफ 23 करोड़ जनता की सुरक्षा की चिंता का फर्ज. अपने पिता के निधन के बावजूद उन्होंने राजधर्म को प्राथमिकता दी. उसे निभाया. योगी आदित्यनाथ पहले भी सबसे ऊपर राजधर्म और यूपी की 23 करोड़ जनता का हित देखने को सर्वोपरि मानते रहे हैं. पिता की मृत्यु भी उन्हें अपने इस पथ से विचलित नहीं कर सकी.
अंतिम संस्कार में शामिल न होने के साथ-साथ दिया बड़ा संदेश
पिता के निधन पर बाद में मुख्यमंत्री ने शोक संदेश में कहा, 'अपने पूज्य पिताजी के कैलाश वासी होने पर मुझे भारी दुख एवं शोक है. वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं. जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोकमंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार उन्होंने बचपन में मुझे दिया. अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने का कर्तव्य बोध के कारण मैं नहीं कर सका.'
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योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'कल 21 अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉक डाउन की सफलता और महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले रहा हूं. पूजनीय मां, पूर्वाश्रम के सभी सदस्यों से भी अपील करता हूं कि वे लॉक डाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें. पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं. लॉक डाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा.'
Source : dalchand