YEAR ENDER 2018: नेताओं के विवादित और फूहड़ बोल, निशाने पर रहीं महिलाएं

नेताओं के विवादित और फूहड़ बोल हमेशा सुर्खियां बटोरते हैं और अमूमन इन नेताओं के निशाने पर महिलाएं होती हैं,

नेताओं के विवादित और फूहड़ बोल हमेशा सुर्खियां बटोरते हैं और अमूमन इन नेताओं के निशाने पर महिलाएं होती हैं,

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Drigraj Madheshia
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YEAR ENDER 2018: नेताओं के विवादित और फूहड़ बोल, निशाने पर रहीं महिलाएं

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नेताओं के विवादित और फूहड़ बोल हमेशा सुर्खियां बटोरते हैं और अमूमन इन नेताओं के निशाने पर महिलाएं होती हैं, फिर चाहे वह महिला राजनीति से जुड़ी हो या नहीं.उनके लिए महिलाएं आसान निशाना होती हैं, क्योंकि इनके रंग, रूप, कद-काठी, मोटापे या बालों को लेकर वे बड़ी आसानी से कुछ भी बोलकर निकल जाते हैं.वर्ष 2018 में भी इसी तरह के फूहड़ बयान सुनने को मिले, जिससे यह तो स्पष्ट हो गया कि आखिर राजनेताओं का एक बड़ा समूह महिला आरक्षण विधेयक का विरोधी क्यों रहा है.

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देश के प्रधानसेवक से शुरू करें तो नरेंद्र मोदी ने संसद में जिस अंदाज में कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी की हंसी की तुलना शूर्पणखा से की और इस पर जिस अंदाज में संसद में बैठे नेताओं ने ठहाके लगाए, यह दृश्य सारी हकीकत बयान कर देता है.मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने चुनाव के दौरान महिलाओं पर पैसे लेने का आरोप लगाते हुए कहा था कि ये महिलाएं चुनाव में 200-500 रुपये लेती हैं और अपने ब्लाउज में छिपा लेती हैं.

ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है, राज्य की सत्ता पर दो-तीन दिन पहले ही काबिज हुए कमलनाथ ने महिलाओं को टिकट दिए जाने के सवाल पर कहा था कि कांग्रेस में महिलाओं को 'कोटा और सजावट' के आधार पर टिकट नहीं दिए गए हैं. दिल्ली से भाजपा सांसद उदित राज ने तो पूरे 'मीटू मूवमेंट' (#Metoo) पर ही सवाल उठाते हुए डंके की चोट पर कहा था कि महिलाएं पैसे लेकर आरोप लगाती हैं.उन्होंने कहा था कि कुछ महिलाएं जानबूझकर पुरुषों पर ऐसे आरोप लगा रही है.

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लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव ने राजस्थान चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर बहुत ही फूहड़ तंज कसते हुए कहा था, "वसुंधरा को आराम दो, बहुत थक गई हैं, बहुत मोटी हो गई हैं, पहले पतली थीं.हमारे मध्य प्रदेश की बेटी हैं."मध्य प्रदेश के गुना से भजापा विधायक पन्नालाल शाक्य ने बहुत ही घटिया बयान दिया था.उन्होंने कहा था कि महिलाएं बांझ रहें, मगर ऐसे बच्चे को जन्म न दें, जो संस्कारी न हो और जो समाज में विकृति पैदा करते हों.

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उत्तर प्रदेश से भाजपा विधायक विक्रम सैनी ने देश की बढ़ती आबादी के बावजूद हिंदुओं को बच्चे पैदा करते रहने की सलाह दी थी.उन्होंने बड़े शर्मनाक ढंग से अपनी पत्नी के साथ अपनी बातचीत का जिक्र सार्वजनिक तौर पर किया था- "मैंने तो अपनी पत्नी से कह दिया है किजब तक जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून नहीं आ जाता, बच्चे पैदा करते रहो."

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने Miss World डायना हेडेन को लेकर एक विवादित बोल दिया था कि वह इंडियन ब्यूटी नहीं हैं.उन्होंने कहा था कि डायना हेडेन की जीत फिक्स थी.वह भारतीय महिलों की सुंदरता की नुमाइंदगी नहीं करती हैं.इतना ही नहीं, महाराष्ट्र सरकार में एक मंत्री हैं, जो सलाह दे रहे हैं कि शराब के ब्रांड को महिलाओं का नाम दें तो शराब खूब बिकेगी.एक और मंत्री हैं, जो कह रहे हैं कि महिलाओं को कार की तरह घर में पार्क करके रखेंगे तो 'रेप' नहीं होंगे.

ये बात तो सिर्फ पुरुष नेताओं की हैं, महिला नेता भी इसमें पीछे नहीं हैं.केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बड़े गर्व से कहा था कि "क्या आप अपने किसी दोस्त के घर खून से सना हुआ नैपकिन लेकर जाएंगे, नहीं ना! तो भगवान के घर में कैसे जा सकते हैं?" ये वही लोग हैं, जो देश में हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, मगर ये महिलाओं को सजावट, संभोग और बच्चे पैदा करने की मशीन से ज्यादा कुछ नहीं समझते.इन महानुभावों को एक महिला की हंसी तक अखर जाती है.

Source : IANS

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