Year end review 2016: महिला सशक्तिकरण के लिहाज से शानदार रहा साल

Year end review 2016: महिला सशक्तिकरण के लिहाज से शानदार रहा साल

Year end review 2016: महिला सशक्तिकरण के लिहाज से शानदार रहा साल

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Shivani Bansal
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Year end review 2016: महिला सशक्तिकरण के लिहाज से शानदार रहा साल

फाइल फोटो

साल 2016 महिलाओं के लिए बेहद ख़ास रहा। यह साल न सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि सभी क्षेत्रों में महिलाओं का वर्चस्व रहा। अगर सिनेमा की बात करें तो इस साल कई महिला प्रधान फिल्में रिलीज़ हुई। मसलन जय गंगाजल, निल बटे सन्नाटा, नीरजा, कहानी 2, डियर ज़िंदगी, पिंक, पार्च्ड और ऐश्वर्या राय बच्चन स्टारर सरबजीत।  

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सिनेमा 
साल में रीलिज़ हुईं सभी महिलाप्रधान फिल्में बेहतरीन थी और इन सभी फिल्मों में दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने की पूरी ताकत थी। प्रियंका चोपड़ा की जय गंगाजल एक हिम्मती महिला पुलिस अधिकारी की कहानी थी जो  भ्रष्ट नेता और सिस्टम से लड़ती है। जबकि निल बटे सन्नाटा एक मां और उसकी बेटी के रिश्तों के बीच बुनी गई थी। वहीं पार्च्ड ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित थी जिसमें ग्रामीण महिलाओं की ज़िंदगी और रुढ़िवादी समाज के बीच उनकी ज़िंदगी के प्रति लगाव को बखूबी दिखाया गया।

नीरजा और पिंक दो हिम्मती लड़कियों की कहानी बयां करती है। नीरजा फिल्म नीरजा भनोट की ज़िंदगी पर आधारित थी, जो पैन एएम फ्लाइट 73 की क्रू मेंबर थी और उन्हें 1986 में प्लैन हाइजेक के दौरान, 359 लोगों की ज़िंदगी बचाने के लिए मार दिया गया था। नीरजा को मरणोपरांत वीरता पुरुस्कार अशोक चक्र अवार्ड प्रदान किया गया था।  

पिंक कहानी एक बिंदास लड़की की है जो अपने दम पर ज़िंदगी जीना चाहती है, लेकिन एक ग़लती के कारण गिरफ्तार हो जाती है और अपने स्त्रीत्व की लड़ाई लड़ती है। सरबजीत, डियर जिंदगी, कहानी 2 और हालिया रीलिज़ दंगल भी ऐसी ही साहसी महिलाओं की कहानियां थी। 

खेल

खेल के क्षेत्र में भी महिलाओं के लिए 2016 बढ़िया रहा। दुनिया के सर्वोच्च खेल उत्सव ओलंपिक्स में भारतीय महिलाओं ने देश का नाम रोशन किया। हालांकि भारत को सोने का पदक हासिल नहीं हो पाया लेकिन पीवी सिंधु, साक्षी मलिक, दीपा कर्माकर के बेहतरीन प्रदर्शन ने देशवासियों का दिल जीत लिया।

शिक्षा 

यूपीएससी 2015 की टॉपर बनीं टीना डाबी ने भी इस साल खूब प्रशंसा बटोरी। देश भर में लोग टीना डाबी की तारीफों के पुल बांधते रहे और उनकी मिसालें देते रहे।  

कारोबार 

कारोबार के क्षेत्र में भी भारतीय महिलाओं किसी से कम नहीं है यह बात उपमा विरदी ने साबित कर दी। भारतीय मूल की उपमा विरदी, एक लीगल प्रोफेशनल हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया में अपनी मसाला चाय से देश को दीवाना बना रही हैं। उन्हें ऑस्ट्रेलिया में बिज़नेस वुमेन एंड कम्यूनिटी अवॉर्ड यानि (आईएबीएसए) से नवाज़ा गया है। 

राजनीति

राजनीति के क्षेत्र में इस साल तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी का वर्चस्व छाया रहा। अपने तीखे बयानों को लेकर उनका दमखम कायम रहा। जबकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों ने भी खूब चर्चा बटोरी। हालांकि साल के अंत में एआईएडीएमके की अध्यक्ष जयललिता की मृत्यु से झटका लगा। लेकिन उनकी निकट रहीं शशिकला के पार्टी की कमान संभालने के बाद उम्मीद है कि राज्य में महिलाओं की हर क्षेत्र में तरक्की की कोशिशें रुकेंगी नहीं और नया साल, तेज़ी से उभरती हुई महिलाओं के लिए नई सौगात लाएगा। 

Source : शिवानी बंसल

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