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कंधार विमान बंधकों की रिहाई के लिए खुद को सौंपने को तैयार थीं ममता : यशवंत सिन्हा

सिन्हा ने कहा कि जब इंडियन एयरलाइंस का हवाई जहाज हाईजैक कर लिया गया था और आतंकवादी उसे कंधार ले गए थे, तब कैबिनेट में एक दिन चर्चा हो रही थी तो ममता बनर्जी ने ऑफर किया कि वह स्वयं बंधक बनकर जाएंगी.

Updated on: 13 Mar 2021, 09:00 PM

highlights

  • टीएमसी ज्वॉइन करते ही यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार पर बोला हमला.
  • टीएमसी भेज सकती है सिन्हा को राज्यसभा.
  • तीन साल पहले किया था राजनीति से संन्यास का ऐलान.

कोलकाता:

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि 1999 में कंधार में आईसी-814 विमान के अपहरण के बाद से चल रहे तनाव के बीच, ममता बनर्जी ने बंधकों को रिहा करने के बदले खुद को बंधक के रूप में रखने की पेशकश की थी. भाजपा के दिग्गज नेता रहे और अटल बिहारी सरकार में वित्तमंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ले ली. इस मौके पर सिन्हा ने यहां मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी के बारे में वो किस्सा सुनाया, जब ममता बनर्जी ने कथित तौर पर कंधार हाईजैक के समय खुद को आतंकियों के पास बंधक के रूप में भेजे जाने की मांग रखी थी.

सिन्हा ने कहा कि जब इंडियन एयरलाइंस का हवाई जहाज हाईजैक कर लिया गया था और आतंकवादी उसे कंधार ले गए थे, तब कैबिनेट में एक दिन चर्चा हो रही थी तो ममता बनर्जी ने ऑफर किया कि वह स्वयं बंधक बनकर जाएंगी. शर्त ये होनी चाहिए कि बाकी जो बंधक हैं, उनको आतंकवादी छोड़ दें और वो उनके कब्जे में चली जाएंगी. उसके बाद जो कुर्बानी देनी होगी, वो देश के लिए देने को तैयार होंगी.

सिन्हा ने 2018 में भाजपा छोड़ दी थी
सिन्हा ने 2018 में भाजपा छोड़ दी थी और तब से ही वे केंद्र की भाजपा सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं. सिन्हा ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी अपने शुरुआती दिनों से एक 'फाइटर' रही हैं और उनमें अभी भी लड़ने का जज्बा बरकरार है. उन्होंने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उनके (ममता बनर्जी) के साथ काम किया है. मैं आपको बता सकता हूं कि वह शुरू से ही एक फाइटर रही हैं और अभी भी फाइटर हैं."

सन् 1999 में कंधार विमान अपहरण हुआ था

सन् 1999 में जब कंधार विमान अपहरण हुआ था, तब ममता बनर्जी रेलमंत्री थीं. बंधकों की रिहाई के बदले मसूद अजहर समेत तीन कुख्यात आंतकियों को रिहा किए जाने की वजह से वाजपेयी सरकार की बाद में काफी आलोचना हुई थी.