मोदी सरकार पर यशवंत सिन्हा ने फिर साधा निशाना, कहा- अटपटे बयान नहीं दे मंत्री

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट से घिरी घरेलू अर्थव्यवस्था का ऐसे 'अटपटे' कथनों से भला नहीं होगा.

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Nihar Saxena
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मोदी सरकार पर यशवंत सिन्हा ने फिर साधा निशाना, कहा- अटपटे बयान नहीं दे मंत्री

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल के हालिया बयानों का हवाला देते हुए पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट से घिरी घरेलू अर्थव्यवस्था का ऐसे 'अटपटे' कथनों से भला नहीं होगा. सिन्हा ने कहा, 'सरकार में बैठे लोग अक्सर अटपटे बयान दे रहे हैं. इन अटपटे बयानों से अर्थव्यवस्था का कल्याण नहीं होगा, लेकिन इनसे सरकार की छवि पर असर जरूर पड़ेगा.'

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पहला निशाना निर्मला सीतारमण पर
उन्होंने कहा कि देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र की मंदी पर ओला और उबर जैसी ऑनलाइन टैक्सी सेवा प्रदाताओं को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हालिया बयान पर उन्हें 'आश्चर्य' हुआ. सिन्हा ने उलटे सवाल किया कि अगर ओला-उबर जैसी कंपनियों के चलते यात्री गाड़ियों की बिक्री में गिरावट आयी, तो फिर दोपहिया वाहनों और ट्रकों की बिक्री में गिरावट क्यों आयी?

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फिर सुशील मोदी पर तंज
यशवंत सिन्हा ने भाजपा के दो अन्य मंत्रियों के बयानों का उल्लेख करते हुए तंज किया, 'बिहार के वित्त मंत्री (सुशील कुमार मोदी) कह रहे हैं कि सावन-भादो के चलते देश में मंदी का माहौल है. केंद्र के एक मंत्री (वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल) आइंसटीन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के बारे में बात कर रहे हैं.' निर्यात को बढ़ावा देने के लिये दुबई शॉपिंग फेस्टिवल की तर्ज पर भारत में सालाना मेगा शॉपिंग फेस्टिवल आयोजित करने की सीतारमण की ताजा घोषणा पर भी पूर्व वित्त मंत्री ने सवाल उठाये.

भारत और यूएई में समझाया अंतर
उन्होंने कहा, 'संयुक्त अरब अमीरात और भारत की अर्थव्यवस्थाओं के हालात अलग-अलग हैं. भारत की अर्थवस्था तभी तरक्की करेगी, जब मध्यप्रदेश के मंदसौर जैसे इलाकों के किसान तरक्की करेंगे.' सिन्हा ने यह भी कहा कि गुजरे वर्षों में समय रहते सुधार के कदम नहीं उठाये जाने से देश को मौजूदा आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, 'हमें कम से कम आठ प्रतिशत की दर से विकास करना चाहिये था, लेकिन मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर पांच प्रतिशत पर आ गयी.'

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बैंकों के विलय पर भी सवालिया निशान
पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया कि जीडीपी विकास दर में तीन प्रतिशत के इस अंतर से केवल एक तिमाही में देश की आमदनी में छह लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की सरकार की नयी योजना को लेकर पूछे गये सवाल पर कहा, 'मैं सरकारी बैंकों के विलय का विरोधी नहीं हूं, लेकिन बैंकों के विलय से इनके फंसे कर्जों (एनपीए) में अपने आप कमी नहीं आयेगी. सरकार की मौजूदा योजना के कारण संबंधित बैंकों का प्रशासन अपने मूल काम छोड़कर विलय प्रक्रिया में लगा रहेगा जिससे इन संस्थाओं को नुकसान होगा.'

HIGHLIGHTS

  • आर्थिक संकट से घिरी घरेलू अर्थव्यवस्था का ऐसे 'अटपटे' कथनों से भला नहीं होगा.
  • एक तिमाही में देश की आमदनी में छह लाख करोड़ रुपये का नुकसान.
  • पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर पांच प्रतिशत पर आयी.
nirmala-sitharaman Modi Government Yashwant Sinha economy Statements
      
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