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सांकेतिक चित्र( Photo Credit : न्यूज स्टेट)
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सांकेतिक चित्र( Photo Credit : न्यूज स्टेट)
पहले से ही गर्त में डूबे जेपी बिल्डर (JP Builders) को यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Yamuna Authority) ने बुधवार को एक और बड़ा झटका दे दिया. प्राधिकरण ने जेपी एसोसिएट्स से करीब एक हजार हेक्टेयर (Hectare) भूमि को वापस लेने का आदेश जारी कर दिया है. वापस ली जाने भूमि का आज का अनुमानित बाजार भाव (Market Price) करीब 20 हजार करोड़ रुपये है. इस भूमि के कुछ हिस्से पर बुद्धा इंटरनेशल सर्किट, इंटरनेशल क्रिकेट स्टेडियम (निर्माणाधीन) है. सीईओ द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, जेपी को कई बार जमीन के बाकी भुगतान के लिए नोटिस दिए गए. इसके बाद भी वो प्राधिकरण को जमीन की देय धनराशि अदा नहीं कर सका. लिहाजा 21 दिसंबर 2019 को पूरे मामले को प्राधिकरण बोर्ड की 66वीं बैठक में रखा गया.
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अरबों रुपए की जमीन
प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉ. अरुणवीर सिंह ने बुधवार को यह जानकारी दी. बैठक के बाद जेपी को दी गई जमीन का हिसाब-किताब और कानूनी दस्तावेज देखे गए. उसके बाद ही बुधवार को सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने जेपी से अरबों रुपये की जमीन वापसी का आदेश जारी कर दिया. जानकारी के मुताबिक इस जमीन पर जेपी ने कंट्री होम्स-1, कंट्री होम्स-2, क्राउंस, ग्रीनक्रेस्ट होम्स, बोगन विलियास, विला स्पंजा, स्पोर्ट विला, कासा, कोव, बुद्धा सर्किट स्टूडियो आदि में 4600 लोगों को अलाटमेंट भी दे दिया. इसके बदले में जेपी ग्रुप ने ग्राहकों से करीब 1900 करोड़ रुपये वसूला.
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बाजार भाव 20 हजार करोड़
यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ द्वारा जारी आदेश के मुताबिक प्राधिकरण द्वारा आवंटित हुई जमीन में ही जेपी ने करीब 609 एकड़ जमीन, 'सबलीज' करके कई और बिल्डर्स को बेच दी. एक अनुमान के मुताबिक, प्राधिकरण द्वारा जेपी से वापस ली जा रही जमीन की कीमत आज के बाजार भाव के हिसाब से करीब 20 हजार करोड़ रुपये तक भी हो सकती है.
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2009 में आवंटित की गई एक हजार हेक्टेयर
प्राधिकरण सीईओ के मुताबिक, 'वापस ली गई एक हजार हेक्टेयर जमीन सन 2009 में आवंटित की गई थी. इसी जमीन के कुछ हिस्से पर जेपी ग्रुप द्वारा बुद्धा इंटरनेशनल फार्मूला वन रेसिंग ट्रैक बनाया गया है.' सीईओ के मुताबिक, 'वापस ली गई जमीन पर निर्माणाधीन इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम को अब खुद प्राधिकरण बनवाएगा. साथ ही जो अन्य प्रोजेक्ट्स लंबित या निर्माणाधीन हैं, उन्हें भी पूरा कराने का कोई न कोई रास्ता प्राधिकरण ही खोजेगा. जमीन की जेपी से वापिसी होने के चलते किसी भी थर्ड-पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा.'
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