सीओपी26 पर भूपेंद्र यादव ने कहा, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए दुनिया को मिलकर काम करना चाहिए
सीओपी26 पर भूपेंद्र यादव ने कहा, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए दुनिया को मिलकर काम करना चाहिए
नई दिल्ली:
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को ग्लासगो में महत्वपूर्ण सीओपी26 बैठक के समापन से कुछ घंटे पहले जोर देकर कहा कि दुनिया को चार मुद्दों पर एक साथ काम करना शुरू कर देना चाहिए - तापमान, शमन , वित्त और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की जिम्मेदारी।यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के लिए ब्रिटेन के ग्लासगो में कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज की 26वीं बैठक (सीओपी26) शुक्रवार को आधिकारिक रूप से समाप्त होने वाली है, लेकिन ट्रैक रिकॉर्ड के अनुसार, वातार्एं अगले दिन खत्म हो सकती हैं।
यादव ने कहा, यह समय है कि दुनिया पेरिस समझौते के तहत की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए एकजुट हो जाए, जिसने पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में ग्लोबल वामिर्ंग को 2 डिग्री से नीचे, अधिमानत: 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
यादव ने सीओपी डायरी के हिस्से के रूप में अपने ब्लॉग पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एकजुट होने का समय शीर्षक के तहत विचार व्यक्त करते हुए यह टिप्पणी की।
यादव ने ग्लासगो के समयानुसार सुबह (भारत में दोपहर) लिखा कि कैसे सीओपी26 में जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए बातचीत एक दूसरे के विचारों, ताकत और बाधाओं के लिए सहयोग और आपसी सम्मान के माहौल में हो रही है।
उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह स्पष्ट कर दिया है कि वह जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए अतिरिक्त मील (और अधिक आगे तक) जाने के लिए तैयार है। इसके साथ ही उन्होंने विकसित दुनिया को यह भी याद दिलाया है कि उन्होंने ऐतिहासिक रूप से मौजूदा संकट का सामना किया है और वैश्विक पर्यावरण की कीमत पर यानी उन्हें दरकिनार करते हुए प्रगति की है।
यादव ने कहा, कोई भी राष्ट्र, चाहे वह कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो, अकेले ग्रह को बचा सकता है। सहयोग की भावना में, भारत ने विश्व और राष्ट्रीय स्तर पर अपने सभी पर्यावरणीय दायित्वों को पूरा करने में अग्रणी होकर, दुनिया को अपना काम करने के लिए कहा है।
मंत्री ने उन धनी राष्ट्रों को याद दिलाया, जिन्होंने जीवाश्म ईंधन को जलाकर प्रारंभिक औद्योगीकरण का लाभ उठाया और सदियों से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाया, इसलिए अब उन अर्थव्यवस्थाओं की चिंताओं और आवश्यकताओं को समायोजित करना चाहिए जिन्हें स्वच्छ और हरित ऊर्जा पर स्विच करने की आवश्यकता है।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अब देश एकजुट जरूर होने लगे हैं, मगर अभी भी प्रक्रिया को और तेज किए जाने की जरूरत है। अमीर देशों ने 2020 तक सालाना 100 अरब डॉलर जुटाने का वादा किया था, लेकिन पैसा नहीं मिला और लक्ष्य की तारीख 2025 तक टाल दी गई।
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