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दूसरे देशों में मिलने वाली सुविधाओं को अपने देश में ट्रांसफर कर सकेंगे मजदूर

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे ब्रिक्स सदस्य देशों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) व अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा एजेंसी (आईएसएसए) के प्रतिनिधियों ने भी अपनी बात रखी और एजेंडा पर सुझाव दिये.

Updated on: 13 May 2021, 08:22 PM

highlights

  • दूसरे देशों में मिलने वाली सुविधाओं को अपने देश में ट्रांसफर कर सकेंगे
  • इस पहली बैठक की श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने अध्यक्षता की
  • सदस्य देशों ने कहा, आगे चलकर इस विषय पर एक बहुस्तरीय प्रणाली बनाई जाये

 

नई दिल्ली:

ब्रिक्स देशों के रोजगार कार्यसमूह की बैठक में भारत ने बतौर अध्यक्ष भाग लेते हुए विभिन्न जरूरी मुद्दों पर चर्चा की. इस दौरान सामाजिक सुरक्षा समझौते पर चर्चा के दौरान कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूरों को बाहरी देशों में मिलने वाले लाभ को अपने देश में स्थानांतरित करने में सुविधा होगी. 11 और 12 मई को हुई इस पहली बैठक की श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने अध्यक्षता की. भारत ने इसी साल ब्रिक्स का अध्यक्ष पद संभाला है. इस दौरान ब्रिक्स देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौतों को प्रोत्साहन देने, श्रम बाजारों को आकार देने, श्रमशक्ति के रूप में महिलाओं की भागीदारी और श्रम बाजार में घंटे या पार्ट-टाइम के हिसाब से काम करने वालों और किसी संगठन से जुड़कर काम करने वालों के रोजगार के मुद्दों पर चर्चा हुई.

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे ब्रिक्स सदस्य देशों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा एजेंसी (आईएसएसए) के प्रतिनिधियों ने भी अपनी बात रखी और एजेंडा पर सुझाव दिये. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विशेष सचिव अनुराधा प्रसाद, संयुक्त सचिव आरके गुप्ता, संयुक्त सचिव एवं श्रमिक कल्याण महानिदेशक अजय तिवारी, संयुक्त सचिव कल्पना राजसिंहोट और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के निदेशक रूपेश कुमार ठाकुर शामिल थे.

सामाजिक सुरक्षा समझौते पर सदस्य देशों ने प्रतिबद्धता व्यक्त की कि आपस में संवाद और चर्चा की जायेगी और समझौतों पर हस्ताक्षर करने की दिशा में कदम बढ़ायेंगे. आईएसएसए और आईएलओ ने अपनी तरफ से इन समझौतों को अमली जामा पहनाने के लिये हर तरह का तकनीकी सहयोग देने की रजामंदी व्यक्त की.

सदस्य देशों ने इस बात पर भी जोर दिया कि आगे चलकर इस विषय पर एक बहुस्तरीय प्रणाली बनाई जाये. सामाजिक सुरक्षा समझौते से अंतर्राष्ट्रीय मजदूरों को बाहरी देशों में मिलने वाले लाभ को अपने देश में स्थानांतरित करने में सुविधा होगी. इस तरह उनकी मेहनत की कमाई में कोई नुकसान नहीं होगा. इसके अलावा, मजदूरों को अपने वतन और काम करने वाले देश, दोनों जगह टैक्स आदि देने से छूट मिल जायेगी.