उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के जारी महिला सशक्तिकरण अभियान का असर अब हाल ही में संपन्न पंचायत चुनाव में दिखाई दे रहा है।
विजयी महिला उम्मीदवारों ने ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत प्रमुख तक प्रमुख पदों पर पुरुषों को पछाड़ दिया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस वर्ष पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद के लिए कुल 31,212, ब्लॉक प्रमुख के लिए 447 और जिला पंचायत अध्यक्ष के पद के लिए 42 महिलाओं ने चुनाव जीता है, जो उनके लिए आवंटित एक तिहाई सीटों के कोटे से अधिक है।
पंचायत चुनावों में महिलाओं की बढ़ती जागरूकता और शिक्षित प्रतियोगियों की बढ़ती संख्या को पंचायत चुनावों में महिलाओं की शानदार जीत के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों के रूप में देखा जा रहा है।
यूपी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने पंचायत चुनाव में जीत हासिल की है।
पंचायत चुनावों में महिलाओं ने उत्साह से भाग लिया और ग्रामीण जनता उन्हें वोट देने से नहीं हिचकिचाती।
स्थानीय राजनीति में महिलाओं का बढ़ता प्रभुत्व स्पष्ट है और महिलाओं ने 58,176 ग्राम प्रधान पदों में से 31,212 पर जीत हासिल की है, जिसमें 53.7 प्रतिशत सीटों का दावा किया गया है।
राज्य में अखिलेश यादव के शासन के दौरान, केवल 25,809 महिलाओं ने ग्राम प्रधान पद के लिए चुनाव जीता था।
राज्य के 75 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों में से 42 में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण मानदंड के अनुसार 24 पदों तक महिलाओं का कब्जा है, जबकि पुरुषों ने केवल 33 सीटों पर जीत हासिल की है।
महिलाओं ने 825 में से 447 सीटों पर जीत का दावा करते हुए ब्लॉक प्रमुख के पदों पर भी जीत हासिल की है।
उल्लेखनीय है कि कई राज्यों में 50 फीसदी आरक्षण होने के बाद भी देश में महिलाओं का औसत प्रतिनिधित्व महज 36.87 फीसदी है।
पहली बार ग्राम प्रधान चुनी गई आगरा के बड़ागांव गांव की पढ़ी-लिखी बेटी कल्पना सिंह गुर्जर का मानना है कि शिक्षित महिलाओं को नौकरी करने की बजाय राजनीति में आना चाहिए।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS