महिला स्वयं सहायता समूह को बीसी सखी के रूप में राष्ट्र को समर्पित किया गया
महिला स्वयं सहायता समूह को बीसी सखी के रूप में राष्ट्र को समर्पित किया गया
नई दिल्ली:
आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर 24 सितंबर से लेकर 30 सितंबर, 2021 तक, पूरे सप्ताह के दौरान, 50,000 महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में बीसी सखी के रूप में राष्ट्र को समर्पित किया गया। ये व्यवसाय समन्वयक (बीसी)प्रत्येक ग्राम पंचायत (जीपी) में घर-घरजाकर सेवाएं प्रदान करेंगी।ग्रामीण विकास मंत्रालय का कहना है कि इस पहल को वन जीपी वन बीसी सखी अभियान का नाम दिया गया है। यह प्रस्ताव किया गया है कि 2023-24 के अंत तक ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम एक बीसी सखी की तैनाती की जाए। बीसी सखी के रूप में प्रशिक्षितऔर प्रमाणितकी गई 50,000 से ज्यादा एसएचजी महिलाएं पहले से ही ग्रामीण क्षेत्रों में घरपर सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बेसिक बैंकिंग सेवाएं प्रदान करनेके लिए महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों को व्यवसाय समन्वयक(बीसी) के रूप में शामिल करने की एक अनोखी पहल की शुरूआत की है।
स्वयं सहायता समूहों और उनके सदस्यों के बीच कैशलेस और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) को यह सलाह दी गई है कि वे अपने राज्य में कार्यरत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) सहित विभिन्न बैंकों के साथ समन्वय करें, जिससेएसएचजी सदस्यों को उनके बीसी के रूप में शामिल किया जा सके।
महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों को जिले के अग्रणी बैंक द्वारा स्थापित किए गए ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों (आरएसईटीआई) में एक सप्ताह का आवासीय प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है और उन्हें भारतीय बैंकिंग एवंवित्त संस्थान (आईआईबीएफ), मुंबई द्वारा आयोजित की जाने वाली एक ऑनलाइन परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारीकिए गएदिशा-निर्देशों के अनुसार प्रत्येक व्यवसाय समन्वयक को आईआईबीएफ से प्रमाणित होना चाहिए।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुताबिक इस परीक्षा में शामिल हुई ग्रामीण क्षेत्रों की 96 प्रतिशत महिला एसएचजी सदस्य इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो चुकी हैं। आईआईबीएफ द्वारा अब तक 54,000 से ज्यादा महिला एसएचजी सदस्यों को व्यवसाय समन्वयक के रूप में प्रशिक्षित और प्रमाणित किया जा चुका है। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रशिक्षण और आईआईबीएफ प्रमाणन का खर्च वहन किया जाता है।
डीएवाई-एनआरएलएम ने ग्रामीण क्षेत्रों में बेसिक बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के लिए महिला एसएचजी सदस्यों को डिजी पे सखी के रूप में शामिल करने के लिए सीएससी ई-गवर्नेंस इंडिया लिमिटेड (सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार का सहयोगी) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इस एमओयू के अंतर्गत,सीएससी ई-गवर्नेंस इंडिया लिमिटेड उनके मोबाइल हैंडसेट पर डिजी पे एप्लीकेशन के माध्यम से बेसिक बैंकिंग सेवा की शुरूआत करने के लिए एसएचजी सदस्यों को एक फिंगर प्रिंट डिवाइस भी उपलब्ध कराता है। फिंगर प्रिंट डिवाइस का खर्च भी ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वहन किया जाता है। ये डिजीपे सखियां ग्रामीण समुदाय के लोगों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के अंतर्गत मनरेगा और अन्य सब्सिडियों के भुगतान की सुविधाएं भी घरपर उपलब्ध कराएंगी।
सभी एसआरएलएम द्वारा जिला स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं और जिले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, प्रतिभागी बैंकरों, सीएससी प्रतिनिधियों, महिला एसएचजी सदस्यों तथा अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की भागीदारी सहित जन भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है,जिससे कि 50,000 महिला एसएचजी सदस्यों को व्यवसाय समन्वयक के रूप में समर्पित करने के लक्ष्य की प्राप्ति की जा सके।
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