एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के कर्मचारी चेहरे पर राष्ट्रीय ध्वज के टैटू वाली महिला पर्यटक को स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से रोक रहे हैं, स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है।
महिला ने दावा किया कि उसे तिरंगा टैटू की वजह से प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। जिस सेवादार, एसजीपीसी कर्मचारी ने प्रवेश से इनकार कर दिया था, जब महिला ने कहा कि यह भारतीय ध्वज है तो उसे कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि यह पंजाब है, भारत नहीं।
40 सेकंड के वीडियो क्लिप में महिला के साथ गए दो लोगों को गार्ड से यह कहते सुना जा सकता है कि क्या स्वर्ण मंदिर भारत में नहीं है? यह पूछे जाने पर कि महिला को पवित्र मंदिर में प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं दी गई, उन्होंने महिला के चेहरे पर बनाए गए ध्वज की ओर इशारा किया। गार्ड ने महिला और उसके साथ आए लोगों को इस घटना को अपने फोन में कैद करने से रोकने की भी कोशिश की।
एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण ग्रेवाल ने अपने कर्मचारियों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगते हुए मीडिया से कहा कि यह एक सिख तीर्थस्थल है। हर धार्मिक स्थल की अपनी मर्यादा होती है। हम सभी का स्वागत करते हैं। अगर किसी अधिकारी ने दुर्व्यवहार किया है तो हम माफी मांगते हैं। उसके चेहरे पर लगा झंडा हमारा राष्ट्रीय ध्वज नहीं था क्योंकि उसमें अशोक चक्र नहीं था। यह एक राजनीतिक झंडा हो सकता था।
सोशल मीडिया पर एसजीपीसी की आलोचना करने के लिए लोगों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, क्या यह लोग नहीं जानते कि सिखों ने भारत की आजादी में बड़ी भूमिका निभाई है? क्या कोई यह ट्वीट करेगा कि राष्ट्रीय ध्वज के लिए 100 में से 90 सिर किसने कुर्बान किए? सिखों को जानबूझकर बदनाम किया जा रहा है।
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Source : IANS