COVID-19 Infection: एक महीने के भीतर कोरोना के डर ने घेर लिया लगभग 40 फीसदी भारतीयों को
आईएएनएस/सी-वोटर के सर्वे (Survey) में गुरुवार को यह बात सामने आई. 'मेरा मानना है कि कोरोना वायरस से खतरा अतिशयोक्तिपूर्ण है', कुल 54.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि यह कथन गलत है या वे इस कथन से दृढ़ता से असहमत हैं.
highlights
- कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते खतरे को लेकर गंभीरता बढ़ी है.
- 38.4 प्रतिशत ने कहा कि वे खतरे को बेहद गंभीरता से देखते हैं.
- सिर्फ 14.5 फीसदी ने कहा कि वे बयान से सिर्फ सहमत हैं.
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के बढ़ते खतरे को लेकर गंभीरता बढ़ी है. संकट कितना अधिक है और इसे कितनी गंभीरता से लिए जाने की आवश्यकता है, इसको लेकर अधिकांश भारतीय में तेजी देखी जा रही है. आईएएनएस/सी-वोटर के सर्वे (Survey) में गुरुवार को यह बात सामने आई. 'मेरा मानना है कि कोरोना वायरस से खतरा अतिशयोक्तिपूर्ण है', कुल 54.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि यह कथन गलत है या वे इस कथन से दृढ़ता से असहमत हैं. वहीं 37.9 प्रतिशत का कहना है कि वह इस अभिकथन से सहमत हैं.
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16 फीसदी मानते हैं सिर्फ गंभीर
38.4 प्रतिशत ने कहा कि वे खतरे को बेहद गंभीरता से देखते हैं, जबकि 16 प्रतिशत ने कहा कि वे बस इसे सिर्फ गंभीर मानते हैं. उन्होंने क्रमश: बयान से 'दृढ़ता से असहमत' और 'सिर्फ असहमत' होने की बात कही. इस बीच, 23.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अत्यधिक आत्मसंतुष्टि दिखाई, जो दृढ़ता से इस बात से सहमत हैं कि वायरस से खतरा वास्तव में अतिशयोक्तिपूर्ण है. वहीं, सिर्फ 14.5 फीसदी ने कहा कि वे बयान से सिर्फ सहमत हैं.
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अधिकाधिक भारतीय हुए जागरूक
सर्वे में 16 मार्च से लेकर 21 अप्रैल के बीच का समय लिया गया है. पिछले एक महीने में अधिक से अधिक भारतीय कोविड-19 के खतरे के प्रति सचेत हुए हैं. उदाहरण के लिए 16 मार्च को ट्रैकर के शुरू होने के समय सिर्फ 21.3 प्रतिशत ने कहा कि वे इस कथन से 'असहमत' हैं कि वायरस का खतरा अतिशयोक्तिपूर्ण है. हालांकि, एक महीने से अधिक समय के बाद 21 अप्रैल को यह संख्या 38.4 प्रतिशत हो गई.
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