काले धन को खत्म किए जाने को लेकर गलत हो सकता है सरकार का अनुमान
आंकड़ों के मुताबिक शनिवार शाम तक 500 और 1000 रुपये के नोटों में 9.85 लाख करोड़ रुपये वापस आ चुके हैं। बैंकों में जमा रकम की रफ्तार यह बता रही है कि काले धन को लेकर सरकार का अनुमान गलत साबित हो सकता है।
highlights
- काले धन को खत्म किए जाने के सरकार के अनुमान को लग सकता है झटका
- अभी तक बैंकों में करीब 10 लाख करोड़ रुपये की रकम वापस आ चुकी है
New Delhi:
500 और 1000 रुपये के नोट के बदले जाने में अभी करीब तीन हफ्ते से भी अधिक का समय है लेकिन इस दौरान बैंकों में जमा रकम लगातार बढ़ती ही जा रही है।
आंकड़ों के मुताबिक शनिवार शाम तक 500 और 1000 रुपये के नोटों में 9.85 लाख करोड़ रुपये वापस आ चुके हैं। बैंकों में जमा रकम की रफ्तार यह बता रही है कि काले धन को लेकर सरकार का अनुमान गलत साबित हो सकता है।
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भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी की कवायद के बाद भी बैंकिंग सिस्टम में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये वापस नहीं आ पाएंगे। ब्लैक मनी को रोकने की दिशा में कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
8 नवंबर को नोटबंदी के बाद पीएम मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था। 500 और 1000 रुपये के नोटों में करेंसी मार्केट में करीब 15 लाख करोड़ रुपये की रकम है।
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बैंक के मुताबिक मार्च 2016 के आंकड़ों के आधार पर करेंसी मार्केट में करीब 14.18 लाख करोड़ रुपये की रकम 500 और 1000 रुपये के नोटों में है। इसमें बैंकों के पास जमा रकम शामिल नहीं है। नोटबंदी के बाद 10 से 27 नवंबर के बीच बैंकों में 8.44 लाख करोड़ रुपये जमा किए गए और बदले गए।
हालांकि बैंकों में जमा रकम केंद्र सरकार के उस अनुमान को धता बता रहा है कि नोटबंदी से करीब तीन लाख करोड़ रुपये का काला धन बैंकों में नहीं आएगा और उसे काले धन को इकनॉमी से बाहर करने में मदद मिलेगी।
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काले धन को सफेद किए जाने की कोशिशों से रोकने के लिए सरकार ने कई बार नियमों में बदलाव किए। यहां तक कि इनकम टैक्स कानून में भी संशोधन किया गया। वहीं जन धन खातों से हर महीने मात्र 10,000 रुपये तक निकाल पाबंदी लगाई गई।
हालांकि इन सभी कोशिशों के बावजूद बैंकों में जिस रफ्तार से पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट जमा हो रहे हैं, उसे देखकर यही लगता है कि काले धन को अर्थव्यवस्था से बाहर किए जाने की रकम बेहद छोटी हो सकती है।
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