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केंद्रीय मंत्रिमंडल में पूर्वोत्तर की उपस्थिति बढ़कर 5 हुई

केंद्रीय मंत्रिमंडल में पूर्वोत्तर की उपस्थिति बढ़कर 5 हुई

Updated on: 07 Jul 2021, 09:20 PM

गुवाहाटी:

केंद्रीय मंत्रिमंडल में बुधवार को सबार्नंद सोनोवाल, राजकुमार रंजन सिंह और प्रतिमा भौमिक के शामिल होने के साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों के केंद्रीय मंत्रियों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है।

किरेन रिजिजू, जिन्हें कैबिनेट रैंक में पदोन्नत किया गया है और रामेश्वर तेली नरेंद्र मोदी मंत्रालय में इस क्षेत्र के मौजूदा मंत्री हैं।

असम के पूर्व मुख्यमंत्री सोनोवाल के लिए केंद्रीय मंत्री के रूप में यह उनकी दूसरी पारी है। शिक्षक से नेता बने राजकुमार रंजन सिंह, जो कि इनर मणिपुर से भाजपा के लोकसभा सदस्य हैं और प्रतिमा भौमिक, जो त्रिपुरा पश्चिम से लोकसभा के लिए चुनी गईं हैं, उन्हें पहली बार मंत्री पद मिला है।

अरुणाचल पश्चिम से चुने गए 50 वर्षीय रिजिजू अपनी पदोन्नति तक केंद्रीय आयुष, युवा मामले और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री थे। 49 वर्षीय रामेश्वर तेली, जो पूर्वी असम के डिब्रूगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए थे, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सिंह को अगले साल 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा के चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रालय में शामिल किया गया है। सिंह आदिवासियों और गैर-आदिवासियों दोनों के बीच एक लोकप्रिय नेता हैं।

69 वर्षीय शिक्षक से राजनेता बने सिंह 2019 में 17वीं लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। वह तब मणिपुर विश्वविद्यालय में कॉलेज विकास परिषद के निदेशक के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने 1982 में गुवाहाटी विश्वविद्यालय, असम से भूगोल विषय में पीएचडी की है।

वहीं भौमिक सत्तारूढ़ भाजपा की त्रिपुरा राज्य इकाई की उपाध्यक्ष हैं। त्रिपुरा विधानसभा के लिए कई चुनाव लड़ने में असफल रहने के बाद, वह अंतत: 2019 में पश्चिम त्रिपुरा निर्वाचन क्षेत्र से 17 वीं लोकसभा के लिए चुनी गईं।

विज्ञान विषय से स्नातक, भौमिक ने 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसने सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे को कुचल दिया था, जो लगातार 25 वर्षों से राज्य पर शासन कर रहा था।

52 वर्षीय भाजपा नेता त्रिपुरा से पहली केंद्रीय मंत्री हैं और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र से अकेली महिला केंद्रीय मंत्री हैं।

भाजपा सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जे. पी. नड्डा सहित पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सोनोवाल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने का फैसला किया था, जब भगवा पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के मार्च-अप्रैल विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापस आने के बाद हेमंत बिस्वा सरमा को असम का नया मुख्यमंत्री नामित किया गया था।

असम गण परिषद (एजीपी) में शामिल होने से पहले 59 वर्षीय असम के नेता ने 1992 से 1999 तक अखिल असम छात्र संघ (एएएसयू) के अध्यक्ष के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और 2001 में मोरन सीट से एजीपी के टिकट पर असम विधानसभा के लिए चुने गए थे।

इसके बाद वे 2004 में डिब्रूगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए और 2014 में फिर से लखीमपुर से लोकसभा चुनाव जीते। तभी वह प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में केंद्रीय खेल और युवा मामलों के मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने थे।

सोनोवाल 2011 में भाजपा में शामिल हुए और उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया गया। अगले वर्ष उन्हें पार्टी की असम इकाई का अध्यक्ष चुना गया।

2016 के असम विधानसभा चुनावों से पहले, सोनोवाल को राज्य में वापस भेज दिया गया था, जहां वह चुनावी लड़ाई का चेहरा थे, जिसे भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ जीत लिया और पूर्वोत्तर में इसके नेतृत्व में पहली सरकार बनी।

सोनोवाल ने आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र माजुली (एसटी) से जीत हासिल की, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप होने का गौरव प्राप्त है।

माजुली कांग्रेस का गढ़ था, जहां पार्टी के उम्मीदवारों ने 1962 से पांच बार सीट जीती थी, फिर भी सोनोवाल हाल के विधानसभा चुनावों में विधानसभा के लिए फिर से चुने गए। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री राजीव लोचन पेगू को हराया, जिन्होंने 2001 से लगातार तीन बार उक्त सीत से जीत हासिल की थी।

पेगू ने इस सप्ताह की शुरूआत में माजुली जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। मीडिया रिपोटरें से पता चला है कि आदिवासी नेता के भाजपा में शामिल होने की संभावना है।

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