गुजरात विधानसभा चुनाव के ठीक बाद शुक्रवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं। हालांकि सरकार की कोशिश है कि पांच जनवरी तक चलने वाले संसद के इस सत्र में अपने एजेंडे में शामिल तीन तलाक, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग संविधान संशोधन विधेयक समेत 41 बिल संसद में पेश करे।
सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को तीन तलाक को गैर-जमानती अपराध बनाने वाले बिल (मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल) को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल सकती है। मोदी कैबिनेट की शुक्रवार दोपहर करीब एक बजे बैठक होगी।
मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल के कानून बनने के बाद सिर्फ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर लागू होगा। इसके तहत कोई भी शख्स अगर तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा, उसे तीन साल जेल के अलावा जुर्मान की सजा हो सकती है।
तीन तलाक के खिलाफ बीजेपी मुखर रूप से आवाज उठाती रही है। पिछले दिनों केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार मुस्लिमों में तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करने के लिए कानून लाने वाली है।
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तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया था।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी)
तीन तलाक से संबंधित बिल के अलावा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिलाने वाले विधेयक को शीतकालीन सत्र के दौरान फिर से पेश किया जाएगा। लोकसभा में मानसून सत्र के दौरान विधेयक को पारित कर दिया गया था लेकिन राज्यसभा ने इसमें कुछ संशोधन किए। दोनों सदनों में इस विधेयक के अलग प्रारूपों को पारित किए जाने के कारण इसे वापस लोकसभा में भेजा जाएगा।
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राज्यसभा में कांग्रेस और विपक्षी दल इस विधेयक को संशोधित करने में कामयाब रहे जिसके कारण सरकार को शर्मिन्दगी झेलनी पड़ी थी।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के उन सांसदों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था, जो विधेयक पर मतदान के दौरान राज्यसभा में मौजूद नहीं थे। उन्होंने कहा था कि 'कांग्रेस ने जानबूझकर अवैध संशोधन पर जोर दिया।' उन्होंने कांग्रेस पर पिछड़े वर्गो के खिलाफ साजिश का भी आरोप लगाया था।
सरकार तीन अध्यादेशों को भी शीतकालीन सत्र में कानूनी अमलीजामा प्रदान करना चाहेगी। इनमें राज्यों के लिए जीएसटी में क्षतिपूर्ति, भारतीय वन अधिनियम और ऋणशोधन व दिवालायपन नियावाली संशोधन भी शामिल हैं।
इस सत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016, मोटरवाहन संशोधन विधेयक 2016 और ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिकार संरक्षण विधेयक भी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
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HIGHLIGHTS
- तीन तलाक बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने वाले विधेयक को भी किया जाएगा पेश
Source : News Nation Bureau