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मध्‍य प्रदेश में क्‍या शिवराज सिंह चौहान फिर बनाएंगे सरकार या भंग हो जाएगी विधानसभा, समझें यहां

मध्‍य प्रदेश में 22 विधायकों के इस्‍तीफे के बाद अब सबकी नजर 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र पर टिक गई हैं. स्‍पीकर के पास विधायकों के इस्‍तीफे पर विचार करने के लिए 7 दिन यानी 17 मार्च तक का समय है.

Updated on: 12 Mar 2020, 11:37 AM

नई दिल्‍ली:

मध्‍य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 22 विधायकों के इस्‍तीफे के बाद अब सबकी नजर 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र पर टिक गई हैं. स्‍पीकर के पास विधायकों के इस्‍तीफे पर विचार करने के लिए 7 दिन यानी 17 मार्च तक का समय है. उससे पहले स्‍पीकर इस्‍तीफे पर फैसला ले सकते हैं. स्‍पीकर के फैसले के बाद ही राज्‍यपाल इस मामले में दखल देंगे. पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार, 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्‍यपाल का अभिभाषण होगा. स्‍पीकर ने बागी विधायकों का इस्‍तीफा मंजूर नहीं किया या कोई तकनीकी पेंच फंसाया तो विधायक कोर्ट भी जा सकते हैं. यह भी बताया जा रहा है कि बागी विधायक स्‍पीकर से व्‍यक्‍तिगत तौर पर मिल भी सकते हैं. बीजेपी का रास्‍ता रोकने के लिए कमलनाथ (Kamalnath) विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की सिफारिश भी कर सकते हैं. जानें मध्‍य प्रदेश में बीजेपी, कांग्रेस, बागी विधायकों, स्‍पीकर और राज्‍यपाल के पास क्‍या विकल्‍प हैं :

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पहला समीकरण: सभी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाएं तब क्या होगा?

  • मध्यप्रदेश के 2 विधायकों के निधन के बाद कुल सीटें = 228
  • इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के विधायक = 22
  • स्पीकर ने इस्तीफे मंजूर किए तो सदन में सीटें (228-22) = 206
  • बहुमत के लिए जरूरी = 104
  • भाजपा = 107 (बहुमत से 3 ज्यादा)
  • कांग्रेस+ = 99 (बहुमत से 5 कम)
  • ऐसी स्‍थिति में बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है.

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दूसरा समीकरण: विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए तब...

  • भाजपा के पास 107 विधायक हैं. 4 निर्दलीय उसके समर्थन में आ जाएं तो भाजपा+ की संख्या 111 हो जाएगी.
  • कांग्रेस विधायकों की छोड़ी 22 सीटों और 2 खाली सीटों को मिलाकर 24 सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए 5 और सीटों की जरूरत होगी.
  • निर्दलीयों ने BJP का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव में पार्टी को 9 सीटें जीतनी होंगी.
  • कांग्रेस को निर्दलियों के साथ रहने पर उपचुनाव में 17 और निर्दलियों के पाला बदलने पर 21 सीटें जीतनी होंगी.

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तीसरा समीकरण: बसपा के 2 और सपा के 1 विधायक भी BJP के साथ आ जाएं तब...

  • भाजपा के पास 107 विधायक, 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा का विधायक भी साथ आ जाएं तो भाजपा+ की संख्या 114 हो जाती है.
  • उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए सिर्फ 2 और सीटों की जरूरत होगी.
  • वहीं, कांग्रेस को निर्दलीय विधायकों का साथ मिलने पर 20 सीटों की जरूरत होगी. निर्दलीय विधायक अलग हो गए तो कांग्रेस को सभी 24 सीटें जीतनी होंगी.

चौथा समीकरण: कांग्रेस-कमलनाथ के पास क्‍या हैं विकल्‍प?

  • मध्‍य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ या कांग्रेस के पास अब सिर्फ बदले की कार्रवाई करने का विकल्प है.
  • इस्तीफा देने वाले सभी विधायकों को स्‍पीकर अयोग्य करार दे सकते हैं.
  • ऐसी स्थिति में अयोग्य करार दिए गए नेता दूसरी बार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

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पांचवां समीकरण: मध्यप्रदेश में क्या मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं

  • कांग्रेस के सभी विधायक एकजुट होकर इस्तीफा दे दें तो राज्‍य में मध्यावधि चुनाव की संभावना बन जाएगी.
  • इस स्थिति में राज्यपाल तय करेंगे कि मध्यावधि चुनाव कराने हैं या उपचुनाव. उपचुनाव होने पर बीजेपी फायदे में रहेगी.

क्या स्पीकर इन विधायकों को अयोग्य करार दे सकते हैं?

  • बागी विधायकों को बुलाकर स्पीकर पूछेंगे कि क्या ये इस्तीफे उन्होंने अपनी मर्जी से दिए.
  • अगर ऐसा है तो इस्तीफा स्वीकार करने के अलावा स्पीकर के पास विकल्प नहीं रहेगा.
  • हालांकि, कर्नाटक में विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को करार दे दिया था और उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा था.