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फिर अड़ियल रुख अपनाएगा चीन ? क्या 14वें दौर की बातचीत भी रहेगी बेनतीजा 

भारत और चीन के बीच पिछले 20 महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है. दोनों देशों के बीच अबतक 13 दौर की मीटिंग हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है.

Updated on: 11 Jan 2022, 02:40 PM

highlights

  • भारतीय और चीनी सैन्य कमांडर 12 जनवरी को करेंगे सैन्य वार्ता
  • पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैन्य गतिरोध खत्म करने पर पर बातचीत होगी
  • इससे पहले अबतक 13 दौर की मीटिंग हो चुकी है, नहीं निकला है कोई नतीजा

दिल्ली:

India-China Tension : भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर गतिरोध बरकरार है. इसे कम करने को लेकर एक बार फिर दोनों पक्षों के बीच बातचीत होने वाली है. भारतीय और चीनी सैन्य कमांडर 12 जनवरी को दोनों ओर से शीर्ष कमांडरों के बीच एलएसी की तनातनी खत्म करने के लिए 14वें दौर की वार्ता करेंगे, लेकिन एक बार फिर से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं पहले की तरह एक बार फिर से यह वार्ता निरर्थक साबित होगी. फिलहाल दोनों देशों के बीच शीर्ष कोर कमांडर स्तर की वार्ता के रचनात्मक दिशा में बढ़ने की उम्मीद है. जहां पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे इलाकों का सैन्य गतिरोध खत्म कर सैनिकों को हटाने के मुद्दे पर अहम बातचीत होगी.

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भारत और चीन के बीच पिछले 20 महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है. दोनों देशों के बीच अबतक 13 दौर की मीटिंग हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. अब तक जितने भी मीटिं हुई है उनकी स्थिति ज्यों की त्यो ही बनी हुई है. 13वें दौर की मीटिंग में भी पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों का कोई समाधान नहीं निकल पाया, जबकि चीन लगातार अपनी चालबाजी करने से बाज नहीं आ रहा है. 

चालबाजी करने से बाज नहीं आ रहा चीन

चीन आए दिन कुछ न कुछ भारत के खिलाफ चालबाजी करने की कोशिश करता रहा है. हाल ही में चीन ने भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में 15 और स्थानों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला के नामों की घोषणा की थी. हालांकि भारत ने चीन के इस कदम को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया था. भारत ने भी जोर देकर कहा था कि यह राज्य हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है. 

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीनी सैनिकों का जमावड़ा

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लंबे समय से चीन की ओर से सैन्य जमावड़ा बना हुआ है. वहां काफी संख्या में चीनी सैनिक की तैनाती बनी हुई है. हालांकि भारतीय सेना भी चीनी पीएलए की सभी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे हुए है. कड़ाके की ठंड के बावजूद भारतीय सेना चीन की सेना पर नजर बनाए हुए हैं.

तवांग में आमने-सामने आ गए थे दोनों देशों के सैनिक

कुछ महीने पहले भारतीय और चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांग्त्से के पास कुछ देर के लिए आमने-सामने आ गए थे और इसे स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद सुलझाया गया. यह नोंकझोंक उस वक्त हुई जब चीनी गश्ती दल ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को वापस भेज दिया गया.

पिछले साल से चल रहा गतिरोध, डटी हैं दोनों सेनाएं

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाएं पिछले साल 5 मई को गलवां घाटी में जवानों के बीच संघर्ष के बाद से आमने-सामने डटी हुई हैं. करीब चार दशक में पहली बार LAC पर इस खूनी संघर्ष के बाद से दोनों सेनाओं के हजारों जवान भारी हथियारों के साथ आमने-सामने डटे हुए हैं. इस गतिरोध को कम करने के लिए अब तक 13 दौर की वार्ता हो चुकी है. इन वार्ताओं के दौरान बनी आपसी सहमति के बाद पिछले साल अगस्त में गोगरा एरिया और फरवरी में पैंगोंग लेक के उत्तरी व दक्षिणी किनारों से दोनों पक्ष सेनाएं हटा चुकी हैं.