Heatwave News: जून में 50 डिग्री के पार जा सकता है पारा, जानिए मौसम का पूरा हाल
यहूदी केंद्र पर आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोप में पाकिस्तानी नागरिक अमेरिका डिपोर्ट
मुंबई पुलिस का खुलासा, ' 2 साल में 35 अवैध बांग्लादेशी महिलाएं पकड़ी गई, देह व्यापार में थीं संलिप्त'
प्रियंका चोपड़ा ने पापा अशोक चोपड़ा को किया याद, शेयर की बचपन की अनमोल तस्वीर
‘थप्पड़ कांड’ पर सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तोड़ी चुप्पी, बोले- 'यह ओम प्रकाश राजभर की साजिश'
Aaj ka Rashifal VIDEO: कैसा बीतेगा आपका आज का दिन, वीडियो में जानें पंडित अरविंद त्रिपाठी जी से
Raja Raghuvanshi Murder: पुलिस की इस ट्रिक के कारण सोनम ने उगला सच, राज का नाम लेकर अधिकारियों ने चली चाल
ENG vs WI: भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज से पहले, इंग्लैंड ने टी20 में मचाया धमाल, वेस्टइंडीज को 3-0 से रौंदा
यमन के हूती समूह ने ली इजरायल के हवाई अड्डे पर मिसाइल अटैक की जिम्मेदारी

यूपी की बीजेपी सरकार क्या बनायेगी अलग पूर्वांचल, बुंदेलखंड या हरित प्रदेश, क्या होंगे मोदी राज़ी ?

यूपी की आबादी दुनिया के कई देशों से भी ज्यादा है। अगर एक देश के तौर पर हम यूपी को देखें तो ये पाकिस्तान और ब्राजील से भी बड़ा है

यूपी की आबादी दुनिया के कई देशों से भी ज्यादा है। अगर एक देश के तौर पर हम यूपी को देखें तो ये पाकिस्तान और ब्राजील से भी बड़ा है

author-image
kunal kaushal
एडिट
New Update
यूपी की बीजेपी सरकार क्या बनायेगी अलग पूर्वांचल, बुंदेलखंड या हरित प्रदेश, क्या होंगे मोदी राज़ी ?

यूपी की आबादी दुनिया के कई देशों से भी ज्यादा है। अगर एक देश के तौर पर हम यूपी को देखें तो ये पाकिस्तान और ब्राजील से भी बड़ा है। ऐसे में यूपी में कानून व्यवस्था और पूरे राज्य के विकास को लेकर सवाल उठते रहे हैं।

Advertisment

यूपी की करीब 40 फीसदी जनता गरीबी रेखा के नीचे जीने पर मजबूर है। लोग मानते हैं कि बेहद बड़ा राज्य होने की वजह से वहां कानून व्यवस्था बनाए रखना और हर क्षेत्र का विकास सबसे बड़ी चुनौती है इसलिए उसे छोटे-छोटे राज्य में बांट देना चाहिए। अर्थशास्त्रियों की माने तो किसी भी राज्य के विकास के लिए वहां कानून व्यवस्था का मजबूत होना पहली प्राथमिकता है।

ऐसे में जब यूपी के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली है और जनता ने एनडीए गठबंधन को करीब 325 सीटें दिलाई है तो ये चुनौती और बड़ी हो जाती है। बीजेपी की इस भारी जीत के बाद पश्चिमी यूपी, बुंदेलखंड, पूर्वांचल, और अवध इलाके के लोग इस बात पर टकटकी लगाए बैठे हैं कि बीजेपी सरकार का यूपी को चार हिस्सों में बांटने पर क्या रुख रहता है। हालांकि बीजेपी छोटे राज्यों की हिमायती तो रही है लेकिन उसने यूपी के विभाजन पर कभी अपने पत्ते साफ तरीके से नहीं खोले हैं।

मायावती कर चुकी हैं कोशिश

जब बहुजन समाजवादी पार्टी 2007-2012 तक यूपी की सत्ता में थी तो मायावती ने यूपी को छोटे-छोटे राज्यों में बांटने की गंभीर कोशिश की थी। इसके लिए मायावती पहली ऐसी मुख्यमंत्री थीं जो अपने ही राज्य के विभाजन के लिए साल 2011 में यूपी कैबिनेट से प्रस्ताव पारित करवाया था। लेकन उस वक्त केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी और उसने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

हालांकि यूपी के विभाजन को लेकर समाजवादी पार्टी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि यूपी को किसी भी हालत में बंटने नहीं दिया जाएगा।

डॉ भीम राव आंबेडकर भी कर चुके हैं यूपी के बंटवारे की वकालत

इससे पहले संविधान निर्माता और दलितों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले डॉ भीम राव आंबेडकर ने भी यूपी को तीन हिस्सों में बांटने की वकालत की थी। साल 1955 में आंबेडकर ने एक पैंफलेट पब्लिश किया था जिसका नाम 'थॉट्स ऑन लिंग्विस्टक स्टेट्स' था। इसमें आंबेडर ने साफ कहा था कि यूपी को प्रशासनिक आधार पर तीन राज्यों, ईस्टर्न, वेस्टर्न और सेंट्रल यूपी में बांट देना चाहिए।

बंटवारे में क्या है सबसे बड़ी चुनौती

यूपी का विभाजन करना बीजेपी सरकार के लिए भी कोई आसान काम नहीं होगा। अगर हम बुंदेलखंड को ही अलग राज्य बनाने की बात करें तो इसके लिए यूपी के साथ ही मध्य प्रदेश का भी बंटवारा करना होगा। क्योंकि बुंदेलखंड की धरती दो राज्यों में बंटी हुई है।

यूपी के विभाजन के बाद ज्यादातर खनिज संपदा के प्रस्तावित बुंदेलखंड और पूर्वांचल में जाने की भी संभावना है। ऐसे ही बंटवारे के बाद औद्योगिक रूप से विकसित नोएडा और गाजियाबाद पश्चिमी प्रदेश का हिस्सा बन जाएंगे।

यहां यह जान लेना बेहद जरूरी है कि नोएडा और गाजियाबाद दो ऐसे शहर हैं जो यूपी सरकार की आमदनी में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।

छोटे राज्यों की हिमायती रही है बीजेपी

बीजेपी हमेशा छोटे राज्यों की हिमायती रही है। साल 2000 में केंद्र में एनडीए सरकार और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में ही यूपी के एक हिस्से को बांटकर उत्तराखंड, मध्य प्रदेश के एक हिस्से को बांटकर छत्तीसगढ़ और बिहार के एक हिस्से को अलग कर झारखंड राज्य बनाया गया था।

जब भी कोई ऐसा मौका आता है बीजेपी इस मौके को भुनाने से नहीं चूकती है और हमेशा इन तीन नए राज्यों के गठन का ढिंढोरा भी पीटती रहती है। लेकिन बात जब यूपी के बंटवारे की होती है तो बीजेपी ज्यादातर समय इसपर चुुप्पी ही साध लेती है।

अब यूपी में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद बीजेपी यूपी को छोटे-छोटे राज्यों में बांटने पर क्या स्टैंड लेती है ये तो आनेवाले समय में ही पता चलेगा। अगर यूपी सरकार राज्यों को चार हिस्सों में बांटने पर सहमत हो जाती है और इसका प्रस्ताव मोदी सरकार को भेजती है तो केंद्र सरकार शायद ही इस पर राजी होगी।

क्या मोदी सरकार यूपी को बांटने पर राजी होगी

कहा जाता है कि जिसने यूपी जीत ली वही पार्टी दिल्ली पर भी राज करती है। अगर यूपी का विभाजन 3 या 4 हिस्सों में होता है तो इससे प्रदेश का राजनीतिक महत्व कम होना तय है। ऐसे में जब साल 2014 और साल 2017 में बीजेपी ने यूपी में भारी जीत दर्ज की है तो ये फैसला बीजेपी के लिए लेना मुश्किल ही होगा। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि साल 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं और यूपी में लोकसभा की 80 सीटें है जिसमें 71 पर अभी बीजेपी गठबंधन का कब्जा है।

अगर आने वाले समय में यूपी कई हिस्सों में बंटता है तो बीजेपी के लिए इतनी लोकसभा सीटें जीतना एक चुनौती बन जाएगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि नए राज्य बनते ही क्षेत्रीय दल भी अपना पैर पसारेंगे और बीजेपी के लिए अलग-अलग राज्य में सभी लोकसभा सीटों को जीतना टेड़ी खीर बन जाएगा।

ये भी पढ़ें: ट्रिपल तलाक़ के ख़िलाफ़ हस्ताक्षर कैंपेन, 10 लाख़ मुस्लिम महिलाओं ने पेटिशन पर साइन कर कही- क़ानून में हो बदलाव

18 मार्च को यूपी के नए सीएम का बीजेपी ऐलान करेगी। राज्य में नया मुख्यमंत्री बनते ही सरकार की पहली प्राथमिकता राज्य में कानून-व्यवस्था की हालत में सुधार करना होगा। चुनाव से पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि बीजेपी सरकार राज्य के सभी असामाजिक तत्वों को चुन चुनकर जेल भेजेगी ऐस में नई सरकार पर सबकी नजरें बनी रहेंगी।

ये भी पढ़ें: कपिल शर्मा ने कर ली है 'शादी', फेसबुक पर शेयर की अपनी पत्नी की तस्वीर

अगर इतने प्रचंड बहुमत के बाद भी प्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत और ग्रोथ रेट में बदलाव नहीं हुआ तो एक बार फिर अलग राज्य के गठन की मांग तेज हो सकती है जो बीजेपी के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं होगी।

ये भी पढ़ें: यूपी के संभावित मुख्यमंत्री मनोज सिन्हा काशी विश्वनाथ मंदिर आशीर्वाद लेने पहुंचे

Source : Kunal Kaushal

manoj sinha BJP Narendra Modi Uttar Pradesh amit shah
      
Advertisment