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SC ने दिल्‍ली में ग्रीन पटाखे छोड़ने का दिया आदेश, जाने ग्रीन पटाखों की खासियत, कैसे अलग हैं सामान्‍य पटाखों से

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले मंगलवार को दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी. कोर्ट के आदेश के अनुसार अब राजधानी में केवल ग्रीन पटाखें ही बिकेंगे और छोड़े जाएंगे. अब बात करते हैं ग्रीन पटाखों के बारे में. आखिर ये ग्रीन पटाखा क्‍या है? इसकी क्‍या खासियत है और कैसे यह सामान्‍य पटाखों से अलग होते हैं? कैसे ग्रीन पटाखे पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं.

Updated on: 03 Nov 2018, 09:45 AM

नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली  में प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट  ने पिछले मंगलवार को दिवाली  पर पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी. कोर्ट के आदेश के अनुसार अब राजधानी में केवल ग्रीन पटाखें ही बिकेंगे और छोड़े जाएंगे. वह भी केवल दो घंटे के लिए रात 8 बजे से 10 बजे तक. कोर्ट ने कहा कि अगर प्रतिबंधित पटाखे बेचे या छोड़े जाते हैं तो संबंधित थाना प्रभारियों के खिलाफ अवमानना का केस चलेगा. अब बात करते हैं ग्रीन पटाखों के बारे में. आखिर ये ग्रीन पटाखा क्‍या है? इसकी क्‍या खासियत है और कैसे यह सामान्‍य पटाखों से अलग होते हैं? कैसे ग्रीन पटाखे पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं.

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राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने ग्रीन पटाखों का ईजाद किया है. यह दिखने में आम पटाखे जैसे ही होते हैं पर इनके जलने से पदूषण कम होता है. ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है. सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 फ़ीसदी तक कम हानिकारण गैस पैदा होते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भले ही ग्रीन पटाखों का ही इस्‍तेमाल करने को कहा है पर बाजार में आने में इन्‍हें काफी वक्‍त लगेगा. जिस ग्रीन पटाखों के इस्‍तेमाल की बात सुप्रीम कोर्ट ने कही है, उसका इस्‍तेमाल दुनिया के किसी देश में नहीं होता है. यह हमारे ही देश का आईडिया है. एक और महत्‍वपूर्ण बात, अगर यह सफल होता है तो दुनिया भर में हम ग्रीन पटाखों के मामले में अगुवा साबित होंगे. बता दें कि नीरी एक सरकारी संस्थान है जो वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंघान परिषद (सीएसआईआर) के अंदर आता है.

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क्‍या है खासियत
नीरी की वेबसाइट पर उपलब्‍ध जानकारी के अनुसार, "इनसे 40 से 50 फीसदी तक कम हानिकारक गैसें निकलेंगी. ऐसा भी नहीं है कि इससे प्रदूषण बिल्कुल भी नहीं होगा. पर हां ये कम हानिकारक पटाखे होंगे." सामान्‍य पटाखे जलाने से भारी मात्रा में सल्‍फर और नाइट्रोजन गैस निकलते हैं. इन्‍हीं गैस की मात्रा को कम कर ग्रीन पटाखों का ईजाद किया गया है. इसमें इस्‍तेमाल किए गए मसाले भी सामान्‍य पटाखों से अलग होते हैं. नीरी ने ग्रीन पटाखों के सैंपल को पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) को भेजा है. वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे बाजार में उतारा जा सकेगा.

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क्‍यों जरूरत पड़ी ग्रीन पटाखों की
पिछले साल राजधानी दिल्‍ली में पर्यावरण की खस्‍ताहालत को देखते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने ग्रीन पटाखों की जरूरत पर बल दिया था. इसके बाद नीरी ने इस पर शोध कार्य शुरू किया था. शोध पूरा होने के बाद नीरी ने चार तरह के ग्रीन पटाखों का ईजाद किया.

चार तरह के ग्रीन पटाखों का ईजाद

  • एल्यूमीनियम का कम इस्तेमालः इस पटाखे में सामान्य पटाखों की तुलना में 50 से 60 फ़ीसदी तक कम एल्यूमीनियम प्रयुक्‍त होता है. इसे सेफ़ मिनिमल एल्यूमीनियम यानी SAFAL का नाम दिया है.
  • पानी पैदा करने वाले पटाखेः इन पटाखों को जलाने पर पानी के कण पैदा होंगे, जिसमें सल्फ़र व नाइट्रोजन के कण घुल जाएंगे. इन्हें सेफ़ वाटर रिलीज़र का नाम दिया गया है. प्रदूषण को कम करने में पानी सबसे मददगार साबित होता है.
  • अरोमा क्रैकर्सः इन पटाखों को जलाने से न सिर्फ़ हानिकारक गैस कम पैदा होगी, बल्कि ये बेहतर खुशबू भी बिखेरेंगे.
  • सल्फ़र व नाइट्रोजन कम पैदा करने वाले पटाखेः इन्‍हें STAR क्रैकर कहा जा रहा है. यानी सेफ़ थर्माइट क्रैकर. इनमें ऑक्सीडाइज़िंग एजेंट का उपयोग होता है जिससे जलने के बाद सल्फ़र और नाइट्रोजन कम मात्रा में पैदा होते हैं. इसके लिए ख़ास तरह के केमिकल का इस्तेमाल होता है.