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"I.N.D.I.A" गठबंधन के लिए क्यों कठिन है 2024 की राह? जानें वजह

'INDIA' नाम के इस नए गठबंधन में जितने दल हैं, उतने ही पेंच भी हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय छत्रपों और राष्ट्रीय दल कांग्रेस के बीच भला सीटों का बटंवारा कैसे होगा?

'INDIA' नाम के इस नए गठबंधन में जितने दल हैं, उतने ही पेंच भी हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय छत्रपों और राष्ट्रीय दल कांग्रेस के बीच भला सीटों का बटंवारा कैसे होगा?

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Prashant Jha
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I.N.D.I.A alliance( Photo Credit : Social Media)

साल 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए को टक्कर देने के लिए विपक्षी एकता के नए गठबंधन की नीव पड़ चुकी है. 18 जुलाई को बेंगुलरु में 26 राजनीतिक दलों ने अपने नए गठबंधन का नाम INDIA रखा, इंडिया से मतलब है "इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस" से है. इसके साथ ही इन दलों ने 2024 के लिए नए सियासी समीकरणों पर काम करना शुरू कर दिया. बता दें कि इस गठबंधन में कई ऐसे दल भी आए जो अपने-अपने राज्यों में एक-दूसरे को एक आंख नहीं भाते. लेकिन 2024 के चुनाव में जनता के सामने एक मजबूत विकल्प देने लिए इन दलों ने साथ आने को ही एक मात्र रास्ता माना है. अब इस गठबंधन की अगली बैठक अगस्त महीने में मुंबई में होनी है, ऐसा बताया जा रहा है कि इस बैठक में लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों के बंटवारे पर चर्चा हो सकती है, जो कि इस गठबंधन की सबसे बड़ी चुनौती है. नमस्कार मेरा नाम है...आप देख रहे हैं न्यूज नेशन एक्प्लेनर

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उद्धव ठाकरे को इस बैठक की तैयारियों की जिम्मेदारी सौंपी गई

कहते हैं राजनीति क्या ना करा दे, इसमें कभी दुश्मन दोस्त हो जाते हैं, तो कभी दोस्त दुश्मन. सत्ता में आने की ललक ऐसी होती है कि धुर विरोधी भी बगल में बैठकर अपने हो जाते हैं और अपने भी पल भर में पराए.... साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता की जो तस्वीर बनने जा रही है, उसमें कुछ ऐसे ही धुरी विरोधी एक मंच पर आ तो गए हैं, लेकिन लोकसभा की सीटों को लेकर इन सबके बीच फैसला कैसे होगा ये बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है? अब खबर है कि विपक्षी एकता के "इंडिया" गठबंधन की अगली बैठक 25-26 अगस्त को मुंबई में हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को इस बैठक की तैयारियों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. 

आपको बता दें कि 'INDIA' नाम के इस नए गठबंधन में जितने दल हैं, उतने ही पेंच भी हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय छत्रपों और राष्ट्रीय दल कांग्रेस के बीच भला सीटों का बटंवारा कैसे होगा? क्योंकि इस गठबंधन में कांग्रेस ही वो राजनीतिक दल है, जिससे अलग होकर विभिन्न राज्यों में कई राजनीतिक शक्तियां खड़ी हुई हैं और सत्ता तक पहुंची हैं. यही वजह है कि ये सवाल बार-बार उठ रहा है कि 26 दलों का गठबंधन सीट बंटवारे को लेकर किस तरह का फॉर्मूला निकाल पाता है, जो हर पार्टी को स्वीकार हो जाए और सभी उस फॉर्मूले पर तैयार हो जाएं? 

मेन फोकस उन 6 राज्यों पर सबसे ज्यादा है

जानकारों की मानें तो विपक्षी गठबंधन का मेन फोकस उन 6 राज्यों पर सबसे ज्यादा है, जहां पर बीजेपी को मजबूती से घेरा जा सकता है, और वहां उसे बड़ा नुकसान पहुंचाया जा सकता है. इन 6 राज्यों में लोकसभा की कुल सीटें 230 हैं. यही वजह है कि इन्हें लेकर सियासी समीकरण बैठाने की जुगत ही विपक्ष एकता के लिए 2024 की राह आसान कर देगी. चलिए अब आपको बताते हैं कि ये 6 राज्य कौन-कौन से हैं. ये राज्य है, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र. अब सीटों की संख्या की बात करें तो यूपी में 80, महाराष्ट्र में 48, पश्चिम बंगाल में 42, बिहार में 40, पंजाब में 13 और दिल्ली में 7 सीटें है. लेकिन इन सभी राज्यों में अलग-अलग क्षेत्रीय छत्रप कांग्रेस को किसी भी हालत में बराबरी की सीटें देने के लिए तैयार नहीं है. क्योंकि इन सभी राज्यों में कांग्रेस की हालत लगभग तीसरे नंबर के दल जैसी है. आपको समझाते हैं कि इन 6 राज्य के इन अलग-अलग दलों का वर्तमान राजनीतिक कद कितना है.  

समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी तीसरे स्थान पर आया था

सबसे पहले बात करते हैं सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश की. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में समाजवादी पार्टी ने बीएसपी के साथ गठबंधन किया था. पार्टी ने 37 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन मात्र 5 सीटों पर उसे जीत मिली. जबकि उसके गठबंधन वाली बीएसपी 10 सीटों पर बाजी मार गई. यूपी की 31 सीटें ऐसी थीं जिनपर पर सपा दूसरे नंबर पर रही. वहीं मात्र एक सीट ऐसी थी, जिस पर समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी तीसरे स्थान पर आया था. अब बात कांग्रेस की करते हैं....साल 2019 लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस ने 67 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, उसके खाते में गई केवल एक सीट, वो भी रायबरेली की. इस सीट से सोनिया गांधी जीती थीं. जबकि यूपी की तीन सीटों पर कांग्रेस दूसरे और 58 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही थी. उस वक्त विपक्षी गठबंधन में शामिल होने वाले राष्ट्रीय लोक दल ने भी तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन तीनों ही सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे.

अब आप आकड़ों से समझ सकते हैं कि जिस कांग्रेस की स्थिति यूपी में चौथे नंबर की पार्टी वाली है, उसे भला समाजवादी बराबर सीटें कैसे दे सकती है? जानकारों की मानें तो सपा साफ संदेश दे चुकी है कि गठबंधन की स्थिति में यूपी में नेतृत्व उसी का होगा. ऐसे में अगर हम यूपी में विधानसभा की स्थिति भी देखें, तो समाजवादी पार्टी राज्य में 111 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी है. वहीं 33 सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली आरएलडी के खाते में 8 विधायक है. जबकि 399 प्रत्याशी मैदान में उतरने वाली कांग्रेस के खाते में मात्र 2 विधायक है. ऐसे में बड़ा सवाल है क्या सपा, कांग्रेस को बराबर सीटें देने के लिए तैयार होगी? और अगर होगी तो यूपी की 80 सीटों का तीनों दलों में बंटवारा कैसे होगा?

Source : News Nation Bureau

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