मुसलमान संगठनों को कट्टरपंथ स्वीकार क्यों? दीपक चौरसिया के साथ देखिये #DeshKiBahas
दिल्ली दंगे से पहले PFI के नाम से 27 बैंक खाते खोले गए थे. PFI से जुड़े 73 खाते में 120 करोड़ रुपये जमा किए गए. मुसलमान संगठनों को कट्टरपंथ स्वीकार क्यों? दीपक चौरसिया के साथ देखिये #DeshKiBahas...यहां पढ़ें मुख्य.
नई दिल्ली:
दिल्ली दंगे से पहले PFI के नाम से 27 बैंक खाते खोले गए थे. PFI से जुड़े 73 खाते में 120 करोड़ रुपये जमा किए गए. 4 दिसंबर 2019 से 6 जनवरी 2020 तक 1.40 करोड़ जमा किया गया था. PFI के कश्मीर यूनिट को 1.65 करोड़ रुपये मिले. CAA बिल पेश होने के बाद PFI खाते से पैसे निकाले. हाथरस केस में 100 करोड़ की विदेशी फंडिंग का दावा है. रिपोर्ट के अनुसार, हाथरस के लिए मॉरीशस से PFI को 50 करोड़ भेजे गए थे. PFI की फंडिंग को लेकर NIA ने गृह मंत्रालय को डोजियर सौंपा. 19 पन्ने के डोजियर में खाड़ी देशों से PFI की फंडिंग का जिक्र है. NIA के अनुसार, IFF और MRN नाम से NGO बनाकर पीएफआई फंड इकट्ठा करता है. मुसलमान संगठनों को कट्टरपंथ स्वीकार क्यों? दीपक चौरसिया के साथ देखिये #DeshKiBahas...यहां पढ़ें मुख्य.
- मैं तो बहुत पहले से कह रहा था कि अगर पीएफआई की गतिविधियां संदिग्ध हैं तो सरकार पिछले 6 साल से क्या कर रही हैः डॉ. शोएब जमई, अध्यक्ष, IMF
- अगर पीएफआई के कनेक्शन आतंकियों से जुड़े हैं तो फिर आपको जांच करवानी चाहिएः डॉ. शोएब जमई, अध्यक्ष, IMF
- न ही मैं पीएफआई का सदस्य हूं और न ही उसे सपोर्ट करता हूंः डॉ. शोएब जमई, अध्यक्ष, IMF
- मैं एक भारतीय होने के नाते मानता हूं कि आतंकवाद का खात्मा होना चाहिएः डॉ. शोएब जमई, अध्यक्ष, IMF
- जिस देश में गांधी की हत्या होती है उसी देश में ट्विटर पर ट्रेंड करते हैं कि गोडसे अमर रहेंः डॉ. शोएब जमई, अध्यक्ष, IMF
- देश की आतंकवादी मानसिकता से लड़ने के लिए जरूरी है : डॉ. शोएब जमई, अध्यक्ष, IMF
- पीएफआई एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन बनता जा रहा हैः वसीम रिजवी, अध्यक्ष, शिया वक्फ बोर्ड
- देश के जितने राज्यों में दंगे हो रहे हैं वहां पर पीएफआई की भूमिका दिखाई दे रही हैः वसीम रिजवी, अध्यक्ष, शिया वक्फ बोर्ड
- ये लोग भारतीय मुसलमानों से पैसा नहीं ले सकते हैं इनको बाहरी देशों से फंडिंग हो रही हैः वसीम रिजवी, अध्यक्ष, शिया वक्फ बोर्ड
- अभी मदरसों के भीतर और क्या कुछ खेल चल रहा है ये आने वाले समय में पता चलेगाः वसीम रिजवी, अध्यक्ष, शिया वक्फ बोर्ड
- अगर आप जनमत करवाइए हिन्दुस्तान के बच्चे-बच्चे से तो वो कहेगा कि सबसे बड़ा आतंकवादी मीडिया हैः मसूद हाशमी, अध्यक्ष, इत्तेहाद सोसायटी
- यूट्यूब में चल रहे कई चैनलों पर मीडिया की वजह से आतंकी बन रहे हैंः मसूद हाशमी, अध्यक्ष, इत्तेहाद सोसायटी
- हिन्दुस्तान के बच्चे-बच्चे के जेहन में जो जहर मीडिया बो रही है उसकी कीमत उसे चुकानी होगीः मसूद हाशमी, अध्यक्ष, इत्तेहाद सोसायटी
- जब कोई मुस्लिम संगठन या मुस्लिम जमात खड़ी होती है कुछ करने के लिए तो आप लोगों के पेट में दर्द होने लगता हैः मसूद हाशमी, अध्यक्ष, इत्तेहाद समाज
- पीएफआई की बात हो रही है तो आप अपनी याददाश्त 2012 में ले जाएं जब प्रोफेसर जोसेफ का हाथ काट दिया गया थाः आरएसएन सिंह, पूर्व RAW अधिकारी
- प्रोफेसर का हाथ सिर्फ इसलिए काटा गया था कि उसने मुहम्मद साहब के बारे में कोई टिप्पणी कर दी थीः आरएसएन सिंह, पूर्व RAW अधिकारी
- तुर्की से इन लोगों को क्यों मोहब्बत है ये बहुत पुरानी भी हैः आरएसएन सिंह, पूर्व RAW अधिकारी
- ये गोडसे की बात कर रहे हैं आखिर महात्मा गांधी ने भी तुम्हारे जैसे लोगों के लिए ही जान दे दी थीः आरएसएन सिंह, पूर्व RAW अधिकारी
- ये देश विरोधी ताकते हैं वो देख रहे हैं कि आज जब भारत दुनिया में आर्थिक तरक्की कर रहा है तो उन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा हैः आशीष गुप्ता, प्रयागराज, दर्शक
- जिस चीन ने हमारे कितने सैनिक शहीद किए आज उसी चीन के शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी ने मंच शेयर कियाः माजिद हैदरी, राजनीतिक विश्लेषक
- ब्रिक्स में चीन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंच साझा करने की क्या जरूरत थीः माजिद हैदरी, राजनीतिक विश्लेषक
- जब देश से कोई भी मुसलमान देश के बाहर जाता है तो आपके पेट में दर्द होने लगता हैः माजिद हैदरी, राजनीतिक विश्लेषक
- जब आमिर खान तुर्की गए तो आप सब को परेशानी होने लगीः माजिद हैदरी, राजनीतिक विश्लेषक
- अब डर का पाला बदलने का वक्त आ गया हैः सुबुही खान, सामाजिक कार्यकर्ता
- अब वक्त आ गया है एक आतंकवादी और एक भारतीय मुसलमान में बंटवारा होना बहुत जरूरी हैः सुबुही खान, सामाजिक कार्यकर्ता
- देशवासियों को अब्दुल कलाम और अजमल कसाब के बारे में अंतर मालूम होना चाहिएः सुबुही खान, सामाजिक कार्यकर्ता
- ये लोग इस्लामिक आतंक को फैलाने के लिए कई एजेंडे देश में चला रहे हैंः सुबुही खान, सामाजिक कार्यकर्ता
- जब बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होता है तो जैसी उसकी बुद्धि विकसित होती है उसकी कैटेगिरी के हिसाब से उसे अलग-अलग संगठनों में भेजा जाता हैः सुबुही खान, सामाजिक कार्यकर्ता
- इनको बोलना पड़ेगा कि हम भारत मां की जय बोलते हैंः सोनिया, गाजियाबाद, दर्शक
- देश के लोगों को ये बताना पड़ेगा कि पीएफआई टर्की के आतंकी संगठन से लिंक हैंः सोनिया, गाजियाबाद, दर्शक
- मां से प्यार दिखाने लायक नहीं होता इसमें कोई कंडीशन नहीं होताः ज़ेबा खान, सामाजिक कार्यकर्ता
- हमारे लिए देश की अहमियत सबसे ज्यादा है सबसे ऊपर देश है फिर कुछ औरः ज़ेबा खान, सामाजिक कार्यकर्ता
- हमें तो अपने देश भारत से प्यार है यहां की मिट्टी हमारी है हम यहां की तरक्की से खुश हैंः ज़ेबा खान, सामाजिक कार्यकर्ता
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