मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के भूगोल को बदलने के लिए 31 अक्टूबर का ही दिन क्यों चुना? जानें

जम्मू-कश्मीर राज्य अब अतीत का हिस्सा बन गया है. पीएम मोदी ने भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लब भाई पटेल के सपनों को साकार किया है

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Sushil Kumar
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मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के भूगोल को बदलने के लिए 31 अक्टूबर का ही दिन क्यों चुना? जानें

सरदार वल्लब भाई पटेल( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

31 अक्टूबर 2019 को कश्मीर का भूगोल और इतिहास दोनों बदल गया है. जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया है. जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा को खत्म करते हुए दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया है. पहला केद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तो दूसरा लद्दाख बन गया है. दोनों केंद्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल ने आज शपथ ग्रहण कर लिया है. कश्मीर अब बदल गया है. 70 वर्षो की लंबी जद्दोजहद के बाद पूरे हिंदुस्तान में एक देश, एक विधान और एक निशान का सपना साकार हो गया. जम्मू-कश्मीर राज्य अब अतीत का हिस्सा बन गया है. पीएम मोदी ने भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लब भाई पटेल के सपनों को साकार किया है.

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केंद्र सरकार ने देश के पहले गृहमंत्री लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए ही जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को 31 अक्टूबर को प्रभावी बनाने का फैसला किया है. पटेल ने भारत-पाक विभाजन के बाद विभिन्न रियासतों के भारत में विलय में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने 564 रियासतों को भारत में विलय किया था. यह सपना सरदार पटेल का था कि जम्मू-कश्मीर का नक्शा भारत के नक्शे में दिखे. वहां के लोग भारतीय कहलाए. वहां भी सिर्फ एक झंडा तिरंगा फहराए.

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वहीं जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख के बीच संपत्‍ति के बंटवारे के लिए गृह मंत्रालय (Home Ministry) में एक समिति बनाई गई है. समिति की रिपोर्ट आने के बाद संपत्‍ति बंटवारे का काम शुरू होगा. जम्‍मू-कश्‍मीर में आज 31 अक्‍टूबर यानी सरदार वल्‍लभ भाई पटेल (Vallabh Bhai Patel) की जयंती के दिन से केंद्र सरकार के 106 कानून वहां लागू हो जाएंगे. रनबीर पेनल कोड (Ranveer Penal Code) के बदले आईपीसी (IPC) लागू हो जाएगा. अनुच्छेद 370 (Article 370) के तहत जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष दर्जा होने के चलते केंद्र सरकार के कानून वहां लागू नहीं होते थे.

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दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों में राज्‍य के पुराने 166 और फिर राज्यपाल के कानून भी लागू होंगे. दूसरी ओर, राज्य के 153 कानून खत्‍म हो जाएंगे. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद लोकसभा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन का काम भी जल्‍द ही शुरू कर दिया जाएगा.

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