आखिर पंजाब के ही किसान क्यों कर रहे हैं आंदोलन? जानिए असल वजह
तीन कृषि कानूनों की मांग को लेकर पिछले 70 दिन से किसान दिल्ली के गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. दो महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है.
नई दिल्ली:
तीन कृषि कानूनों की मांग को लेकर पिछले 70 दिन से किसान दिल्ली के गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. दो महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है. 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद तीनों धरनास्थलों पर किसानों की संख्या में कमी आई थी लेकिन एक बार फिर किसानों की संख्या सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर बढ़ती जा रही है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि आखिरकार पंजाब के ही किसान धरने पर क्यों बैठे हैं. आखिर तीनों कृषि कानूनों से देश में सबसे अधिक समस्या पंजाब के किसानों की ही क्यों है. तो आइये इसकी वजह समझते हैं.
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तीन राज्यों के ही किसान ज्यादा
सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. इन किसानों में ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए किसान हैं. सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानून की मुखालफत करने वाले ज्यादातर किसान इन्हीं 3 तीन राज्यों से क्यों हैं? आखिरकार क्यों दक्षिण, पूरब और पश्चिमी भारत के राज्यों के किसानों की मौजूदगी इस आंदोलन में न के बराबर है.
प्रदर्शन की असली वजह क्या?
डर और चिंता सबसे ज्यादा 2 मुद्दों को लेकर है. किसान कह रहे हैं MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस बंद हो जाएगा. आंदोलन कर रहे किसान ये सवाल भी सामने रखते हुए विरोध कर रहे हैं कि APMC यानी एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी खत्म तो नहीं हो जाएगी? हर राज्य में MSP और APMC को लेकर स्थिति अलग-अलग है. इससे पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अब तक हुई बैठक में ये कह भी चुके हैं कि यह एक्ट राज्य का है और APMC मंडी को किसी भी तरह से प्रभावित करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जारी रखने की लिखित गारंटी देने की बात भी कह रही है.
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33 फीसद APMC अकेले पंजाब में
देश में करीबन 6,000 एपीएमसी हैं. इनमें से अकेले 33 फीसदी सिर्फ पंजाब में ही है. APMC के आंकड़ों पर नजर डालें तो केंद्र सरकार की तरफ से पहले से तय हुए दाम में खरीदारी का राष्ट्रीय औसत 10 फीसद से कम है. यह राष्ट्रीय औसत पंजाब के आंकड़ों के लिहाज से बहुत कम है. वहीं पंजाब में खरीदारी का ये 90 प्रतिशत से अधिक है. हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जमीन भी और राज्यों के मुकाबले ज्यादा उपजाऊ है. ऐसी स्थिति में इन 3 राज्यों में उगने वाले अनाज को राज्य सरकारें APMC की मंडियों में MSP देकर किसानों से खरीद लेती है. नए कृषि कानून के मुताबिक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तीनों ही राज्यों में कोई भी किसान खुला मंडी में अपने राज्य में या फिर किसी और राज्य में बेच सकता है. पंजाब और हरियाणा के किसानों के अब डर सता रहा है कि एपीएमसी के सिस्टम से बाहर जा कर बेचने पर प्राइवेट व्यापारियों के हाथों उनका शोषण हो सकता है.
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