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WHO ने चेताया, ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट XBB से कोरोना की नई लहर का खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ वैज्ञानिक डॉ.सौम्या स्वामीनाथन ने चेतावनी दी है ​कि XBB दुनिया के कई देशों में कोरोना की नई लहर लाने में सक्षम है. 

Updated on: 21 Oct 2022, 09:24 PM

highlights

  • XBB एंटीबॉडी को चकमा देने में सक्षम हो सकता है
  • महाराष्ट्र में अब तक XBB वैरिएंट से सं​क्रमित 18 मरीज सामने आए
  • चीन के कई शहरों में दोबारा से लॉकडाउन लगना शुरू हो गया

नई दिल्ली:

कोरोना का नया रूप एक बार फिर दस्तक देने की तैयारी कर रहा है. जहां एक तरफ लोग वैक्सीनेशन के बाद बेपरवाह नजर आ रहे हैं, वहीं ओमिक्रॉन का एक और सब-वैरिएंट XBB सामने आया है. इसने देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में नई लहर का खतरा बढ़ा दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ वैज्ञानिक डॉ.सौम्या स्वामीनाथन ने चेतावनी दी है ​कि XBB दुनिया के कई देशों में कोरोना की नई लहर लाने में सक्षम है. ये ओमिक्रॉन के सब-लाइनेज BJ.1 और BA.2.75 से मिलकर तैयार हुआ है. इसे रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट कहते हैं. इसके कारण ब्रिटेन, अमेरिका और सिंगापुर में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. वहीं चीन के कई शहरों में दोबारा से लॉकडाउन लगना शुरू हो गया है.

महाराष्ट्र में अब तक XBB वैरिएंट से सं​क्रमित 18 मरीज सामने आए हैं. पुणे के साथ 2-2 मरीज नागपुर और ठाणे और एक मरीज अकोला में पाए गए हैं. XBB के अलावा एक मरीज BQ.1 और एक BA.2.3.20 से भी संक्रमित हुए हैं. ये मरीज 24 सितंबर से 11 अक्टूबर के बीच पाए गए हैं. 20 में से 15 संक्रमितों ने कोरोना की वैक्सीन ली थी. अभी पांच लोगों की रिपोर्ट आनी है. विशेषज्ञों का मनना है कि XBB एंटीबॉडी को चकमा देने में सक्षम हो सकता है. 

दोबारा से नई लहर का खतरा

ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट से दोबारा नई लहर का खतरा बढ़ रहा है. WHO की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने नई लहर की आशंका व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन के 300 से अधिक सब-वैरिएंट्स हैं. ये इम्युनिटी को आसानी से चकमा देने में सक्षम होगा. उन्होंने कहा कि XBB की वजह से कई देशों में मामले बढ़ने की आशंका है. अभी तक XBB कितना गंभीर है, इसे लेकर कोई भी डेटा नहीं मिला है. मगर निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता है.

इसके लिए जीनोम सिक्वेंसिंग ज्यादा कराने की जरूरत है. इससे ट्रैकिंग आसानी से हो सकेगी. उन्होंने कहा कि कोरोना अभी भी विश्व के लिए खतरा बना हुआ है. एक आंकड़े के अनुसार, हर सप्ताह विश्वभर से आठ से नौ हजार लोगों की मौत हो रही है. इस दौरान सबसे अधिक मौतें बुजुर्गों की हुई हैं.