अंततः महाराष्ट्र का राजनीतिक गतिरोध मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के साथ और गहरा गया. इस्तीफे के बाद सूबे के कार्यकारी सीएम बने फडणवीस ने दो-टूक लहजे में सरकार नहीं बनने का ठीकरा शिवसेना के 'झूठ' और उसके नेताओं के 'बड़बोलेपन' पर फोड़ा. उन्होंने साफ लहजे में कहा कि चुनाव लड़ा बीजेपी के साथ, लेकिन सरकार बनाने की बातचीत एनसीपी के साथ शुरू की. पीएम नरेंद्र मोदी तक पर तंज कसे गए. जाहिर है कार्यवाहक सीएम देवेंद्र फडणवीस के इन आरोपों के निशाने पर परोक्ष रूप से उद्धव ठाकरे और अपरोक्ष रूप से शिवसेना के नेता संजय राउत ही रहे. गौर करने वाली बात यह है कि जिस वक्त फडणवीस पत्रकारों से बात कर रहे थे, उस वक्त भी संजय राउत एनसीपी नेता शरद पवार से मुलाकात कर रहे थे.
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संजय राउत ने दिए भड़काऊ बयान
अगर बीते कुछ दिनों के घटनाक्रम पर गौर किया जाए तो साफ है कि संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' से लेकर अपनी ट्वीट से बीजेपी पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने बीजेपी पर न सिर्फ चुनाव पूर्व फॉर्मूला को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया, वहीं 'विकल्प' खुले होने की बात कहकर बीजेपी को सरकार बनाने की चुनौती तक दे डाली. संजय राउत जिस तरह से महाराष्ट्र के सीएम को लेकर बीजेपी के खिलाफ 'मोर्चा' खेले हुए थे, उससे यह पूरी तरह से साफ था कि उन्हें पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे का वरदहस्त प्राप्त था. यह शिवसेना का ही अड़ियल रुख था, जो सरकार गठन के लिए मुंबई आ रहे गृह मंत्री और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह को ऐन मौके अपनी यात्रा रद करनी पड़ी.
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शिवसेना ने बीजेपी से मुंह मोड़ा
ऐसे में देवेंद्र फडणवीस का यह बयान महत्वपूर्ण हो जाता है कि शिवसेना जिस 50-50 फॉर्मूले की बात कर रही है, उस पर कोई चर्चा ना तो नितिन गडकरी से हुई और न ही अमित शाह के साथ. उन्होंने यह आरोप तक जड़ डाला कि कई बार फोन करने के बावजूद उद्धव ठाकरे ने फोन तक उठाना उचित नहीं समझा. इसके बावजूद बीजेपी ने अपनी तरफ से बातचीत बंद नहीं की. बातचीत बंद शिवसेना की तरफ से ही हुई और उसके नेताओं ने बीजेपी से मुंह मोड़ एनसीपी-कांग्रेस से सरकार गठन के समीकरणों पर चर्चा शुरू कर दी.
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संजय राउत ने सफाई में देवेंद्र पर फिर साधा निशाना
हालांकि इसके बाद सफाई में संजय राउत ने कहा कि जिस वक्त 50-50 फॉर्मूले पर चर्चा हुई उस वक्त नितिन गडकरी मौजूद नहीं थे. यानी एक तरह से उन्होंने फिर कार्यवाहक सीएम देवेंद्र फडणवीस पर ही निशाना साधा. संजय राउत ने यह कहकर पल्ला झाड़ना चाहा कि ढाई-ढाई साल के लिए सीएम पद की बात उन्हें पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने ही बताई थी. संजय यह कहने से भी नहीं चूके कि शिवसेना जब सरकार बना सकती है, तो वह जब चाहेगी अपना सीएम भी बना लेगी. जाहिर है उद्धव ठाकरे की मर्जी के बगैर संजय राउत न तो कड़वाहट भरे बयान दे सकते थे और ना ही बीजेपी के नेताओं से बातचीत बंद कर एनसीपी-कांग्रेस से सरकार गठन पर चर्चा कर सकते थे.
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कुछ अंगुलियां देवेंद्र फडणवीस की ओर भी
जाहिर है उद्धव ठाकरे और संजय राउत की अति महत्वाकांक्षा ही महाराष्ट्र के हालिया गतिरोध के लिए जिम्मेदार है. हालांकि कुछ लोग दबी जुबान में कार्यवाहक सीएम देवेंद्र फडणवीस पर भी अंगुली उठा रहे हैं और उनकी बेबाक शैली को इस पनपती खाई के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. हालांकि यह सभी यह स्वीकारने से पीछे नहीं हट रहे हैं कि फडणवीस ने अगर यह रवैया नहीं अपनाया होता तो शिवसेना की ब्लैकमेल करने वाली राजनीति से पार पाना आसान नहीं होता. शिवसेना की सीएम पद को लेकर की गई इसी ब्लैकमेलिंग से सूबे में सियासी संकट गहराया है.
HIGHLIGHTS
- शिवसेना खासकर संजय राउत की तरफ से आए भड़काऊ बयान.
- बगैर उद्धव ठाकरे के वरदहस्त के राउत नहीं कर सकते थे बयानबाजी.
- हालांकि देवेंद्र फडणवीस की बेबाक शैली पर भी उठ रही हैं अंगुलियां.