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महाश्वेता चक्रवर्ती, भारतीय पायलट( Photo Credit : TWITTER HANDLE)
यूक्रेन में भारत के हजारों छात्र फंसे थे. भारत सरकार ने कई स्तरों पर बातचीत करके छात्रों और भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लायी. रूस-यूक्रेन युद्ध के 20 से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं. इस लड़ाई में भारत से पढ़ाई करने गए हजारों छात्र भी फंस कर रह गए थे, लेकिन सरकार की फौरी कार्रवाई और हमारे पायलट के साहस की वजह से यह सभी छात्र सुरक्षित देश लौट आए हैं. इस बचाव कार्य की एक खास बात और है- कोलकाता की रहने वाली 24 साल की महाश्वेता चक्रवर्ती (Mahasweta Chakraborty), जो पेशे से पायलट हैं. इन्होंने इस बचाव कार्य में पोलेंड और हंगरी जाकर यूक्रेन की सीमा से करीब 800 भारतीय छात्रों को सुरक्षित घर पहुंचाने का कार्य किया. यह जानकारी भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा ने अपने ट्वीट में दी.गल
भारतीय जनता युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष प्रियंका शर्मा ने अपने ट्वीट में कहा कि बंगाल भाजपा महिला मोर्चा प्रमुख तनुजा चक्रवर्ती की बेटी महाश्वेता चक्रवर्ती ने यह साहस का काम किया है.
She is Mahasweta Chakraborty, Daughter of Tanuja Chakraborty (President of WB State BJP Mahila Morcha).
— Priyanka Sharma 🇮🇳 (@Priyankabjym) March 12, 2022
Mahasweta, a 24yr old pilot from Kolkata, rescued more than 800 Indian students from the border of Ukraine, Poland & Hungary.
Huge Respect for her. 🙏🏻https://t.co/Sn5JVJbAcopic.twitter.com/4ISOHHfq14
24 फरवरी से शुरू हुए यह ऑपरेशन अपने तीसरे हफ्ते में प्रवेश कर चुका है और अभी तक इसके ज़रिये 20 हजार से ज्यादा छात्रों को घर वापस लाया जा चुका है. वहीं रूस-यूक्रेन की इस लड़ाइ में रूस युक्रेन की राजधानी से कुछ ही फासले पर है. इस लड़ाई में एक भारतीय छात्र की जान भी जा चुकी है. यह घटना तब हुई थी जब छात्र खारकीव में अपने घर से बाहर कुछ सामान लेने निकला था तभी रूस ने यहां पर मिसाइल से हमला बोल दिया था, जिसमें छात्र को अपनी जान गंवानी पड़ी.
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वहां फंसे छात्रों की बचाने के कार्य को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार बैठके करके स्थिति का जायजा लिया, जिससे उचित कदम उठाए जा सके और वहां फंसे हजारों छात्रों को सुरक्षित घर लाया जा सके. वहीं विपक्ष भी सरकार पर छात्रों को वापस लाने के लिए दबाव बनाए हुए था. उधर यूक्रेन ने अपने हवाई स्थल को बंद कर दिया है.
इस वजह से छात्रों को वापस लाने के लिए पोलैंड, हंगरी, स्लोवाक रिपब्लिक और रोमानी जो युक्रेन की सीमा से लगे देश हैं, उस रास्ते का चुनना पड़ा. इसके लिए विशेष जहाजों की व्यवस्था की गई. इस पूरे ऑपरेशन पर ठीक से निगरानी रखने के लिए कुछ केंद्रीय मंत्री भी यूक्रेन की सीमा पर पहुंचे, ताकि छात्रों और उनके माता पिता को ढाढंस बंधा रहे. वहीं हमारे जाबांज पायलट ने भी अपने साहस का परिचय दिया.
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