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दिल्ली में जहरीली हवा के लिए कौन जिम्मेदार? आमने सामने आई केंद्र और केजरीवाल सरकार

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की आबोहवा दिनों दिन जहरीली होती जा रही है. दिल्ली-एनसीआर में आज धुंध पसरने के साथ ही पूरे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' स्तर पर पहुंच गई.

Updated on: 15 Oct 2020, 03:11 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की आबोहवा दिनों दिन जहरीली होती जा रही है. दिल्ली-एनसीआर में आज धुंध पसरने के साथ ही पूरे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' स्तर पर पहुंच गई. अब राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर केंद्र और राज्य सरकार में टकराव शुरू हो गया है. केंद्र मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने  दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली को 4 प्रतिशत तो शेष स्थानीय कारकों को जिम्मेदार बताया. जिसके बाद दिल्ली आम आदमी पार्टी केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर बिफर पड़ी. 

पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण के संबंध में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के बयान के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि इनकार करते रहने से कोई लाभ नहीं होगा.  मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि यदि केवल चार प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने के कारण है, तो दिल्ली-एनसीआर में पिछले पखवाड़े में अचानक प्रदूषण क्यों बढ़ गया है.

सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, 'इनकार करते रहने से कोई लाभ नहीं होगा. यदि पराली जलाने की वजह से केवल चार प्रतिशत प्रदूषण होता है, तो पिछले पखवाड़े में अचानक प्रदूषण क्यों बढ़ गया है? हवा इससे पहले साफ थी. हर साल एक ही कहानी.' उन्होंने आगे कहा, 'पिछले कुछ दिन में किसी अन्य स्थानीय स्रोत से प्रदूषण नहीं बढ़ा है, जो हाल में बढ़े प्रदूषण का कारण हो.'

इससे पहले केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पराली जलाना दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण नहीं है. उन्होंने अपने आवास में संवाददाताओं से कहा, 'केवल चार प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने के कारण है. इसके अलावा, 96 प्रतिशत प्रदूषण बायोमास जलाने, कचरा फेंकने, कच्ची सड़कों, धूल, निर्माण और तोड़-फोड़ संबंधियों गतिविधियों इत्यादि के कारण है.' 

लेकिन केंद्रीय मंत्री के दावे के उलट अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) के कृत्रिम उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि पंजाब के अमृतसर, पटियाला, तरनतारन और फिरोजपुर तथा हरियाणा के अंबाला और राजपुरा में बड़े पैमाने पर खेतों में पराली जलाई गई है. हालांकि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने कहा कि राजधानी की वायु गुणवत्ता पर इसका प्रभाव फिलहाल कम है.