जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में यूरोपियन यूनियन (European Union) के डेलीगेशन के जाने को लेकर विपक्षी दल मोदी सरकार (Modi Sarkar) पर हमलावर हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में देश के सांसदों को नहीं जाने दिया जा रहा है, जबकि विदेशी प्रतिनिधिमंडल को वहां सैर करने का मौका दिया जा रहा है. विपक्ष इसे प्लांड टूर भी बता रहा है. असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने आरोप लगाया गया है कि इस्लामोफोबिया (Islamophobia) फैलाने वाले विदेशी सांसदों को ही इस टूर में बुलाया गया है. इन सबके बीच यह सवाल उठता है कि आखिर यूरोपियन यूनियन के सांसदों का यह दौरा कैसे फिक्स हुआ, कैसे इसकी रूपरेखा बनी. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, यूरोपियन यूनियन के सांसदों के दौरे को मादी शर्मा (Madi Sharma) ने प्लांड किया था. मादी शर्मा मादी ग्रुप की हेड हैं. बताया जा रहा है कि मादी ग्रुप कई अंतरराष्ट्रीय प्राइवेट सेक्टर और एनजीओ का एक नेटवर्क है.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, 7 अक्टूबर 2019 को मादी शर्मा ने यूरोपीय सांसदों को वाया E-Mail प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 28 अक्टूबर को वीआईपी मीटिंग कराने और 29 अक्टूबर को कश्मीर ले जाने का वादा किया था. इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की भी बात कही गई थी. मादी शर्मा के बारे में बताया जा रहा है कि वह एक NGO विमिंज इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक (WESTT) चलाती हैं. मादी शर्मा ने अपने टि्वटर हैंडल के बायो में सोशल कैपिटलिस्ट: इंटरनैशनल बिजनस ब्रोकर, एजुकेशनल आंत्रप्रेन्योर एंड स्पीकर बताया है.
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मादी शर्मा ने अनुच्देद 370 पर EP टुडे में एक आर्टिकल भी लिखा था, जिसका शीर्षक था, 'आर्टिकल 370 को खत्म करना जीत और कश्मीरी महिलाओं के लिए चुनौती क्यों है?' EP टुडे यूरोपीय संसद से जुड़ी एक मासिक पत्रिका है. मादी की वेबसाइट के मुताबिक, WESTT महिलाओं का एक प्रमुख थिंक-टैंक है. मादी शर्मा ने पिछले साल यूरोपीय सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल मालदीव भेजने में सहयोग किया था. उस समय तत्कालीन यामीन सरकार के लिए काफी मुश्किल दौर था.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो