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बाबा बौख नाग के आशीर्वाद से बची मजदूरों की जान, सामने आईं दिल को छू लेने वाली तस्वीरें

अब सवाल यह है कि इस बाबा बौखनाग की कहानी क्या है. आखिर क्यों नाराज हुए बाबा बौखनाग? आइए जानते हैं बाबा बौखनाग की अनसुनी कहानी, जो आपको हैरान कर देगी.

Updated on: 28 Nov 2023, 08:28 PM

नई दिल्ली:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने की उम्मीद जग गई है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, अबततक 33 मजदूरों को निकाला लिया गया है. मजदूरों को निकालने का ये ऑपरेशन करीब 400 घंटे से चल रहा था यानी 17 दिनों से ये मिशन लगातार चल रहा था. इन सबके बीच एक ऐसी खबर सामने आ रही थी जो अपने आप में चौंकाने वाली थी. दावा किया जा रहा था कि बाबा बौखनाग की नाराजगी के कारण यह बड़ा हादसा हुआ था. स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि इस हादसे के पीछे बाबा की नाराजगी थी, जिससे इतनी बड़ी संकट आई.

बाबा बौखनाग की आशीवार्द से ऑपरेशन सफल

जब यह हादसा हुआ तो उसके कुछ दिन बाद सुरंग के मुहाने पर बाबा बौखनाग का मंदिर बनाया गया. इस ऑपरेशन में शामिल सभी बचावकर्मी और एक्सपर्ट सबसे पहले बाबा बौखनाग का आशीर्वाद लेते थे और बाबा से इस ऑपरेशन को जल्दी सफल बनाने का अनुरोध करते थे. माना जा रहा था कि बाबा के आशीर्वाद से ही यह ऑपरेशन सफल हुआ है. बाबा के आशीर्वाद से हम वहां काम कर रहे थे और सभी टीमों को हौंसला मिल रहा था. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि विदेश से आए एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने भी बाबा बौखनाग के मंदिर पर माथा टेका था.

  

सीएम पुष्कर सिंह ने धामी बाबा के सामने टेका माथा

यहां तक ​​कि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी बाबा के सामने सिर झुकाकर उन्हें धन्यवाद दिया है. सीएम ने लिखा, बाबा बौख नाग जी की असीम कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है. शीघ्र ही सभी श्रमिक भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा.

आखिर क्या है बाबा बौखनाग की कहानी?

अब सवाल यह है कि इस बाबा बौखनाग की कहानी क्या है? बाबा बौखनाग का मंदिर उत्तराखंड के नौगांव की पहाड़ियों के बीच स्थित है. इस मंदिर के पास हर साल एक मेले का आयोजन किया जाता है. यहां की मान्यता है कि अगर नवविवाहित और निःसंतान लोग सच्चे मन और नंगे पैर इस त्योहार में भाग लेते हैं तो उनकी मान्यता पूरी होती है. बाबा की उत्पत्ति के पीछे स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि बाबा यहां सांप के रूप में प्रकट हुए थे. ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण टिहरी जिले के सेम मुखेम से आए थे, इसलिए हर साल सेम मुखेम और बाबा बौखनाग में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. बाबा की कहानी के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि बाबा बौखनाग का असली नाम वासुकिनाग है.

क्यों नाराज हुए थे बाबा बौखनाग?

स्थानीय लोगों का कहना है कि बाबा नाराज हो गए हैं तो फिर ऐसा क्यों हुआ कि बाबा नाराज हो गए और इतना बड़ा संकट खड़ा हो गया. लोगों का कहना है कि सुरंग बनाने के लिए बाबा के प्राचीन मंदिर को तोड़ा गया है. जिससे बाबा नाराज हो गए और ये हादसा हो गया. इस वजह से इस सुरंग के निर्माण के दौरान लगातार कई तरह की दिक्कतें सामने आ रही हैं. मजदूर फंस गए तो उन्हें निकालने में कई बार ऑपरेशन फेल हुए. अचानक भूस्खलन हुआ तो ऑपरेशन रोकना पड़ा. जब वहां काम करने वाले कर्मचारियों को एहसास हुआ कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है तो उन्होंने आनन-फानन में मंदिर का निर्माण करवाया और फिर सभी अधिकारियों ने बाबा से माफी मांगी.