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धर्मांतरण पर किस राज्य में कितनी सजा?  सबसे पहले यहां लागू हुआ कानून

इससे पहले देश के 9 राज्यों में धर्मांतरण (conversion) को लेकर कानून लाया जा चुका है. ओडिशा में यह कानून सबसे पहले लाया गया था. ओडिशा में 1967 में यह कानून लागू किया गया था.

Updated on: 13 Jan 2021, 03:42 PM

नई दिल्ली:

शादी के लिए गलत तरीके से धर्म परिवर्तन (conversion)  को रोकने के लिए बनाए गए यूपी और उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में कानून बनाया था. इसमें आरोपियों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में भी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया लेकिन यूपी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या सिर्फ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ही ऐसा कानून लाया गया है?

इससे पहले देश के 9 राज्यों में धर्मांतरण को लेकर कानून लाया जा चुका है. ओडिशा में यह कानून सबसे पहले लाया गया था. ओडिशा में 1967 में यह कानून लागू किया गया था. 

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किस राज्य में क्या कानून और कितनी सजा

- ओडिशा  (1967) - क़ानून के उल्लंघन पर 1  साल की सज़ा 5000  रूपये जुर्माना / एससी-एसटी मामले में 2  साल सज़ा ,10  हज़ार जुर्माना

- मध्य प्रदेश  (1968) - क़ानून के उल्लंघन पर 1  साल की सज़ा 5000  रूपये जुर्माना / एससी-एसटी मामले में 2  साल सज़ा ,10  हज़ार जुर्माना

- अरुणाचल प्रदेश (1978) - क़ानून के उल्लंघन पर 2  साल की सज़ा 10000  रूपये जुर्माना / एससी-एसटी मामले में 2  साल सज़ा ,10  हज़ार जुर्माना

- छत्तीसगढ़  ( 2006) - क़ानून के उल्लंघन पर 3  साल की सज़ा 20000  रूपये जुर्माना / एससी-एसटी मामले में 4  साल सज़ा ,20  हज़ार जुर्माना

- गुजरात  (2003) - क़ानून के उल्लंघन पर 3  साल की सज़ा 50000  रूपये जुर्माना / एससी-एसटी मामले में 4  साल सज़ा ,1  लाख रूपये जुर्माना

- हिमाचल  प्रदेश  (2019) - क़ानून के उल्लंघन पर 1 - 5 साल तक की सज़ा / एससी-एसटी मामले में 2 - 7 साल तक की सज़ा

- झारखंड  (2017) - क़ानून के उल्लंघन पर 3 साल की सज़ा 50000  रूपये जुर्माना / एससी-एसटी मामले में 4 साल सज़ा ,1  लाख रूपये जुर्माना

- उत्तराखंड  (2018) -  क़ानून के उल्लंघन पर 1 - 5 साल तक की सज़ा / एससी-एसटी मामले में 2 - 7 साल तक की सज़ा

- यूपी (2020 ) -  क़ानून के उल्लंघन पर 1 - 5 साल तक की सज़ा , 15  हज़ार या उससे ज़्यादा का जुर्माना / एससी-एसटी मामले में 2 - 10 साल तक की सज़ा , 25  हज़ार या उससे ज़्यादा का जुर्माना

तमिलनाडु और राजस्थान में क़ानून वापस हो गया

- तमिलनाडु में 2002  में धर्मांतरण क़ानून पास किया गया , लेकिन ईसाई मिशनरियों के भारी विरोध के बाद 2006  में इसे वापस ले लिया गया

- राजस्थान में भी  2008 में इस तरह का विधेयक पारित किया था लेकिन यह कानून नहीं बन सका क्योंकि केन्द्र ने कुछ स्पष्टीकरण के लिये इसे वापस भेज दिया था.

संसद में 3 बार हुए धर्मांतरण क़ानून पास कराने की नाकाम कोशिश

- संसद में पहली बार 1954 में भारतीय धर्मान्तरण विनियमन एवं पंजीकरणः विधेयक 1954 में पेश किया गया लेकिन पास नहीं हो सका

- इसके बाद, 1960 और 1979 में भी इसके असफल प्रयास हुये थे.

- 2015 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रव्यापी स्तर पर धर्मांतरण निरोधक कानून बनाने पर जोर दिया था.