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दाऊद से किन नेताओं के संबंध? BJP नेता ने वोहरा कमेटी की रिपोर्ट पर उठाए सवाल

अश्निनी उपाध्याय ने कहा कि दिनेश त्रिवेदी की पीआईएल पर 20 मार्च 1997 को सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को वोहरा कमेटी रिपोर्ट पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया था. बावजूद इसके वोहरा कमेटी रिपोर्ट पर न तो कोई कार्रवाई हुई और न तो इसे सार्वजनिक किया

Updated on: 08 Nov 2020, 07:03 PM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बीच 27 साल पुरानी वोहरा कमेटी की रिपोर्ट उजागर करने की मांग उठने लगी है. इस रिपोर्ट में दाऊद इब्राहिम के साथ कई बड़े नेताओं के गठजोड़ का जिक्र होने की बात कही जाती है. भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने केंद्र सरकार से जल्द से जल्द इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है. कहा है कि रिपोर्ट सार्वजनिक होने से कई बड़े नेताओं के दाऊद इब्राहिम से संबंधों का खुलासा होगा. इससे महाराष्ट्र की सरकार पर भी आंच आ सकती है. उन्होंने रिपोर्ट न उजागर होने पर सुप्रीम कोर्ट जाने की भी बात कही है.

भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्निनी उपाध्याय ने कहा कि दिनेश त्रिवेदी की पीआईएल पर 20 मार्च 1997 को सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को वोहरा कमेटी रिपोर्ट पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया था. बावजूद इसके वोहरा कमेटी रिपोर्ट पर न तो कोई कार्रवाई हुई और न तो इसे सार्वजनिक किया गया. बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि वोहरा समिति रिपोर्ट पर तत्काल कार्यवाही करना और उसे सार्वजनिक अतिआवश्यक है.

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बीजेपी नेता ने कहा कि, देश जानना चाहता है कि दाऊद से संबंध रखने वाले कितने नेता, अब तक लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा पहुंचे? भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस से कहा, अगर केंद्र सरकार ने दिनेश त्रिवेदी केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में वोहरा कमेटी की रिपोर्ट जनता के सामने उजागर नहीं की तो मैं पीआईएल के जरिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगा. देश हित में वोहरा कमेटी की रिपोर्ट का उजागर होना बहुत जरूरी है.

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आपको बता दें कि साल 1993 के मुंबई बम विस्फोट के बाद केंद्र की तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव की सरकार द्वारा गठित एनएन वोहरा कमेटी ने एक रिपोर्ट तैयार की थी. कमेटी ने यह रिपोर्ट पांच अक्टूबर 1993 को सरकार को सौंपी थी. सौ पेज की इस रिपोर्ट में अंडरवर्ल्ड डॉन के साथ कई नेताओं के संबंधों के बारे में जानकारी होने की बात कही जाती है. अब तक रिपोर्ट के सिर्फ 12 पेज ही सार्वजनिक किए गए हैं. रिपोर्ट के सबसे संवेदनशील हिस्से को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. बताया जाता है कि दाऊद इब्राहिम से कई नेताओं के रिश्तों का विस्फोटक खुलासा होने के कारण तत्कालीन सरकार पूरी रिपोर्ट उजागर करने से पीछे हट गई थी.