केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिंदी में दिया जवाब तो मद्रास हाईकोर्ट ने लगा दी क्लास, जानें पूरा माजरा

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिकारियों को राजभाषा अधिनियम 1963 के प्रावधान को सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि एक बार अंग्रेजी में कोई बात कहने के बाद यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह केवल अंग्रेजी में जवाब दे. 

author-image
nitu pandey
एडिट
New Update
madras hc

मद्रास हाईकोर्ट ( Photo Credit : PTI)

केंद्र सरकार को हिंदी में जवाब देने पर मद्रास हाईकोर्ट की फटकार सुननी पड़ी. मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने केंद्र सरकार के अधिकारियों को अंग्रेजी में लिखे पत्र का जवाब हिंदी में देने को लेकर फटकारा. मदुरै बेंच (Madurai Bench) ने कहा कि केंद्र को उसी भाषा में जवाब देना चाहिए जिसमें राज्य सरकार आवेदन भेजे. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिकारियों को राजभाषा अधिनियम 1963 के प्रावधान को सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि एक बार अंग्रेजी में कोई बात कहने के बाद यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह केवल अंग्रेजी में जवाब दे. 

Advertisment

दरअसल, मदुरै लोकसभा सांसद एस वेंकटेशन ने कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें कहा था कि तमिलनाडु ने ग्रुप बी और ग्रुप सी में 780 रिक्त पदों को भरने के लिए लिखित परीक्षा के लिए पुडुचेरी में एक भी परीक्षा केंद्र स्थापित नहीं किया है. इसलिए मैंने 9 अक्टूबर को गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजकर उन्हें कम से कम एक परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा. मैंने यह पत्र अंग्रेजी में लिखी थी.

इसे भी पढ़ें:अफगानिस्तान छोड़ने की तैयारी 6 महीने पहले शुरू कर दी थी मोदी सरकार ने

याचिका में बताया गया कि गृह राज्य मंत्री ने 9 नवंबर को हिंदी में लिखे एक पत्र में जवाब भेजा था, इसलिए मुझे नहीं पता चला कि वो इसमें क्या कह रहे हैं.

जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एन. किरुबाकरण और एम. दुरईस्वामी की बेंच ने कहा कि हिंदी में जवाब देना कानून का उल्लंघन है. पीठ ने बताया कि यह संवैधानिक कानूनी अधिकारों और 1963 के राजभाषा अधिनियम के विपरीत है. केंद्र सरकार को केवल अंग्रेजी में पत्र भेजना चाहिए.

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह नियम का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे. कोर्ट ने आगे बताया कि मातृभाषा बहुत महत्वपूर्ण है. बुनियादी शिक्षा मातृभाषा में प्रदान की जानी चाहिए. लेकिन वर्तमान में शिक्षा के अंग्रेजी तरीके पर जोर दिया जाता है. 

और पढ़ें:सोमनाथ मंदिर को कई बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ: पीएम मोदी

मदुरै बेंच ने आगे कहा कि आर्थिक नजरिए से अंग्रेजी भाषा को ज्यादा अहमियत दी जाती है. सरकार को हर भाषा का महत्व समझना चाहिए. इसके साथ ही हर भाषा के विकास के लिए सही कदम उठाने चाहिए.

Source : News Nation Bureau

madras high court home ministry
      
Advertisment