एक-एक वोट है कीमती, नहीं तो इन नेताओं की तरह हाथ से निकल जाएगी सीट
ये हार-जीत का खेल है और इस खेल में एक वोट किसी को हरा सकता है तो किसी को जिता सकता है. जैसा कि 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था.
नई दिल्ली:
बस कुछ ही घंटों बाद देश के चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं. वोटों की गिनती रविवार सुबह 8 बजे शुरू होगी. मतगणना के साथ ही सभी प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ गई हैं. ऐसे में कल का एक-एक वोट हर उम्मीदवार के लिए अहम है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ये हार-जीत का खेल है और इस खेल में एक वोट किसी को हरा सकता है तो किसी को जिता सकता है. जैसा कि 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था. राजस्थान की नाथद्वारा सीट कई मायनों में ऐतिहासिक मानी जाती है. 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बेहद रोमांचक मुकाबला हुआ था.
एक वोट से हार गए थे चुनाव
आपको बता दें कि राजस्थान की नाथद्वारा सीट पर मुख्य उम्मीदवार बीजेपी के कल्याण सिंह और कांग्रेस के सीपी जोशी थे. यह सीट कांग्रेस नेता सीपी जोशी की परंपरागत सीट रही है. उन्होंने इस सीट पर चार बार 1980, 1985, 1998 और 2003 में चुनाव जीता था, लेकिन 2008 में सीपी जोशी महज एक वोट से चुनाव हार गए और बीजेपी से कल्याण सिंह चुनाव जीत गए. सीपी जोशी को 62,215 वोट मिले थे और कल्याण सिंह को 62,216 वोट मिले थे, यानी कल्याण सिंह सिर्फ एक वोट के अंतर से जीत गए थे.
क्यों है ये अहम सीट?
यह सीट राजस्थान की राजनीति में ऐतिहासिक सीट मानी जाती है क्योंकि यह सीट उदयपुर शहर से महज 45 किलोमीटर दूरी पर है. इसकी निकटता के कारण इसका उदयपुर की राजनीति पर बहुत प्रभाव पड़ता है. यहां कुल 2.34 लाख मतदाता हैं. इसमें सबसे ज्यादा वोट राजपूतों के हैं. यहां राजपूतों के 80 हजार वोट हैं. इसके बाद ब्राह्मण और आदिवासी समुदाय के लोग हैं.
ये भी पढ़ें- 4 राज्यों के रिजल्ट से पहले नेताओं ने अपनी-अपनी जीत के दावे किए, कोई पहुंचा मंदिर तो किसी ने जनता के बीच गुजारा दिन
पहली बार कब आया ऐसा मामला?
ऐसा ही मामला 2004 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला था. यह कर्नाटक के संथेमरहल्ली निर्वाचन क्षेत्र से आया था, जहां इस सीट पर दो मुख्य दावेदार थे ए.आर. जनता दल सेक्युलर से कृष्णमूर्ति और कांग्रेस से ध्रुवनारायण. जब नतीजे आए तो कृष्णमूर्ति को 40,751 वोट और ध्रुवनारायण को 40,752 वोट मिले थे. यानी ए.आर कृष्णमूर्ति सिर्फ एक वोट से चुनाव हार गए और इतना ही नहीं वह पहले ऐसे उम्मीदवार बन गए जो एक वोट से चुनाव हार गए. अब देखना होगा कि कल जब 4 राज्यों के नतीजे आएंगे तो क्या होगा और कौन प्रचंड बहुमत से जीतेगा और किसे करारी हार मिलेगी.
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