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जब पी. चिदंबरम गृहमंत्री थे तो कुछ इस तरह से गिरफ्तार हुए थे अमित शाह

चिदंबरम 29 नवंबर, 2008 से 31 जुलाई 2012 तक देश के गृह मंत्री रहे थे, अब वक्त ने आज करवट ले ली है

Updated on: 22 Aug 2019, 07:05 AM

नई दिल्ली:

राजनीति में किस दिशा में ऊंट बैठ जाए किसी को पता नहीं. सियासत में वक्त की घड़ी काफी तेजी से घूमती है. जब घूमती है तो इसका परिणाम किसी को पता नहीं होता है. भारतीय राजनीति में एक ऐसी ही घटना दोहराई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम को बुधवार को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है. इस समय देश के गृहमंत्री अमित शाह हैं. अब घड़ी की सूइया को पीछे घुमाए तो देखने को मिलेगा कि कैसे अमित शाह की गिरफ्तारी हुई थी और उस वक्त गृह मंत्री पी. चिदंबरम थे. यह घटना करीब 10 साल पहले की है. 

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यूपीए शासनकाल में जब पी. चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे, उस वक्त सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामला जोरों पर था. इस मामले में अमित शाह पर कार्रवाई की गई थी. 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद अमित शाह को जेल में डाल दिया गया था. बता दें कि चिदंबरम 29 नवंबर, 2008 से 31 जुलाई 2012 तक देश के गृह मंत्री रहे थे. अब वक्त ने आज करवट ले ली है. सीबीआई ने पी. चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया है और देश के गृहमंत्री अमित शाह हैं.

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25 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था. वो तीन महीने तक जेल के अंदर रहे. इसके बाद उन्हें 2 साल तक गुजरात आने की अनुमति नहीं दी. वे 2 साल तक गुजरात से बाहर रहे. इसके बाद 29 अक्टूबर, 2010 को गुजरात उच्च न्यायालय ने अमित शाह को बेल दी. 2010 से लेकर 2012 तक अमित शाह गुजरात के बाहर ही रहे. 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राहत मिली. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुजरात जाने की इजाजत दी. बाद में इस मामले की सुनवाई मुंबई की अदालत में ही हुई. 2015 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.

क्या है सोहराबुद्दीन केस

26 नवंबर 2005 को एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन को मार डाला गया था. सोहराबुद्दीन के साथ एक फार्महाउस में उसकी पत्‍नी कौसर बी को भी मार दिया गया था. सोहराबुद्दीन मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के झिरन्या गांव का रहने वाला था. वह हिस्‍ट्रीशीटर था. जिसके खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे. सोहराब के एनकाउंटर के ठीक एक महीने बाद 26 दिसंबर 2006 को उसके साथी तुलसीराम प्रजापति को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया. इससे पहले तुलसी प्रजापति को सोहराबुद्दीन शेख के मुठभेड़ का चश्‍मदीद गवाह बनाकर पेश किया गया था.

इस एनकाउंटर के बाद गुजरात के तत्‍कालीन गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका पर भी सवाल उठे थे. पुलिस के मुताबिक सोहराबुद्दीन के अंडरवर्ल्‍ड माफिया के अलावा पाकिस्‍तान के आईएसआई से भी संबंध होने के आरोप लगे थे. उनके हथियारों की तस्करी में लिप्त होने तथा छिपाने में मदद करने के आरोप भी लगे.