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आखिर कौन सी थी ऐसी मजबूरी की कलेक्टर बन गया ड्राइवर

चारो तरफ से गुलाब से सजी यह कार किसी शादी में नहीं जा रही है। बल्कि एक कलेक्टर अपने ड्राइवर को छोड़ने उसके घर जा रहा है।

Updated on: 04 Nov 2016, 12:15 PM

highlights

  • दिगंबर थाक ने 18 कलेक्टरों को सेवाएं दी
  • रिटायरमेंट को यादगार बनाना चाहते थे कलेक्टर

नई दिल्ली:

एक क्लेक्टर ने अपने ड्राइवर को यादगार तोहफा दिया जो उसे ताउम्र याद रखेगा। सुनने में औपको भी थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन ऐसा सच है कि एक कलेक्टर अपने ड्राइवर के लिए गाड़ी चाला कर उसे घर तक छोड़ा।

छत पर लगी लाल बत्ती और चारो तरफ से गुलाब और कई अन्य फूलों से सजी यह कार किसी शादी में नहीं जा रही है। बल्कि एक कलेक्टर अपने ड्राइवर को छोड़ने उसके घर जा रहा है।

सफेद वर्दी में इस 'वीआईपी' कार में पीछे की सीट पर दिगंबर थाक हैं जो कि करीब 35 साल से महाराष्ट्र के अकोला में कलेक्टर ऑफिस में ड्राइवर के पद पर तैनात थे। दिगंबर अपने पद से रिटायर हो रहे थे। उन्हें घर छोड़ने के लिए वहां के कलेक्टर ने अपनी गाड़ी में पीछा बिठाकर खुद ड्राइवर बने हुए थे।

उनके बॉस और अकोला के कलेक्टर जी. श्रीकांत दिगंबर को विदाई के मौके पर यह अनूठा तोहफा देने का विचार किया जिसके बाद दफ्तर में भी दिगंबर के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया।

सरकारी ड्राइवर के तौर पर 58-वर्षीय दिगंबर थाक जिले के 18 कलेक्टरों को दफ्तर लाने ले जाने का काम करते रहे। जिसके बाद श्रीकांत ने उनके सम्मान में ऐसा किया।

कलेक्टर जी. श्रीकांत ने बताया, 'लगभग 35 साल तक उन्होंने राज्य को अपनी सेवाएं दीं, और सुनिश्चित किया कि कलेक्टर रोजाना दफ्तर तक सुरक्षित पहुंचाया। मैं इस दिन को उनके लिए यादगार बना देना चाहता था, और जो कुछ उन्होंने किया, उसके लिए धन्यवाद भी कहना चाहता था।'