जब अटल बिहारी वाजपेयी ने करगिल युद्ध के दौरान बांध दिए थे सेना के हाथ!
अटल बिहारी वाजपेयी ने करगिल युद्ध के दौरान भी सिद्धांतों का पालन किया था और सेना को बॉर्डर पार करने का आदेश नहीं दिया था। हालांकि तत्कालीन सेना प्रमुख वी पी मलिक प्रधानमंत्री से नाराज हो गए थे।
नई दिल्ली:
पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में एक अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल हमेशा याद किया जाता है। वाजपेयी को पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के पहल के लिए काफी सराहा जाता रहा है और उन्हें शांति बनाए रखने के प्रयास के लिए जाना जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 हुए करगिल युद्ध के दौरान उनकी भूमिका भी काफी ऐतिहासिक रही थी।
अटल बिहारी वाजपेयी ने करगिल युद्ध के दौरान भी सिद्धांतों का पालन किया था और सेना को बॉर्डर पार करने का आदेश नहीं दिया था। हालांकि तत्कालीन सेना प्रमुख वी पी मलिक प्रधानमंत्री से नाराज हो गए थे।
करगिल युद्ध के वक्त भारतीय सेना के तत्कालीन प्रमुख वी पी मलिक ने अक्टूबर 2016 में कहा था कि भारतीय जवान 1999 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में घुसने वाले थे लेकिन उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अंतरराष्ट्रीय दवाबों के कारण उन्हें रोक लिया था।
2016 में सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद वी पी मलिक ने कहा था, '2 जून को 1999 को पीएम वाजपेयी ने आर्मी को बॉर्डर पार नहीं करने को कहा था।'
1999 में करगिल युद्ध के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने बिल क्लिंटन को सेक्रेट पत्र भी लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय क्षेत्र से बाहर नहीं जाते हैं तो 'हम उन्हें बाहर करेंगे, एक रास्ते या फिर दूसरे रास्ते से।' ये बातें वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने अपनी किताब में लिखी थीं।
उन्होंने अपनी किताब में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा के हवाले से लिखा कि, 'बॉर्डर पार करने का आदेश नहीं दिया गया था और न हीं परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का।'
कब शुरू हुआ था करगिल युद्ध
1998 की सर्दियों में करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कुछ पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था। जब भारतीय सेना को साल 1999 में गर्मियों की शुरुआत में इस बात का पता चला तो सेना ने उनके खिलाफ 'ऑपरेशन विजय' अभियान शुरू किया। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ाई लड़ी गई थी।
आठ मई को शुरू हुआ सैन्य ऑपरेशन 26 जुलाई को खत्म हुआ था। इस सैन्य कार्रवाई में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए थे और करीब 1363 जवान घायल हुए थे। बताया जाता है कि इस लड़ाई में करीब तीन हजार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। हालांकि कारगिल जंग को लेकर पाकिस्तान का कहता रहा कि उसके करीब 357 सैनिक ही मारे गए थे।
और पढ़ें: वाजपेयी एक ऐसा नेता जिन्होंने 34 पार्टियों की मदद से पहली बार चलाई पांच साल NDA सरकार
इस जंग में करीब 11 मई को भारतीय वायुसेना भी शामिल हो गई थी लेकिन उसने कभी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार नहीं की थी। तकरीबन दो महीने तक चलने वाला यह जंग भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला तीसरा युद्ध था।
इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी वैश्विक चुनौतियों के बाद भी राजस्थान के पोखरण में 1998 में परमाणु परीक्षण किया था। इस परीक्षण के बाद अमेरिका समेत कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था।
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