किसानों को किए गए ऋण माफी के वादे से देश में क्या संदेश जाता है

इसके बाद गुजरात सरकार ने भी किसानों के बिजली के बिलों को माफ करने की घोषणा करने में देर नहीं की.

author-image
yogesh bhadauriya
एडिट
New Update
किसानों को किए गए ऋण माफी के वादे से देश में क्या संदेश जाता है

किसानों की ऋण माफी के वादे से देश के अन्य किसानों को क्या जाता है संदेश

छत्तीसगढ़ सरकारों द्वारा चुनावी वादा पूरा करने के लिये किसानों का ऋण माफ करने की घोषणा के बाद असम सरकार ने भी इसी और कदम बढ़ाया. इसके बाद गुजरात सरकार ने भी किसानों के बिजली के बिलों को माफ करने की घोषणा करने में देर नहीं की. ऋण माफ करने से राजनीतिक लाभ तो मिल जाएगा लेकिन किसानों की स्तिथि में बहुत सुधार नहीं होगा. इससे बाकी प्रदेशों में भी यह मैसेज जाएगा कि किसान जो ऋण वापिस देने की स्तिथि में हैं वे भी सोचेंगे कि सरकार आज नहीं तो कल हमारा ऋण माफ कर देगी. इस विषय पर अधिक बात करने के लिए हमने बात की नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कस के उपाध्यक्ष अशवनी राणा से. इसलिए वापिस क्यों करें. आखिर किस की कास्ट पर सरकारें इस तरह का राजनीतिक लाभ का खेल खेल रही हैं.

Advertisment

यह भी पढ़ें- किसानों के ऋण माफ करने से बढ़ेगी वित्तीय घाटा और महंगाई: आरबीआई

आजतक केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा किसानों के कई लाख करोड़ के ऋण माफ करने के बाद भी किसान की दशा नही बदली. इसलिए सरकारों को सोचना होगा कि ऋण माफ करने की जगह उनकी दशा सुधारने के लिये अन्य प्रयास जैसे फसल बीमा, फसल को स्टोर करने की सुविधाएं, स्थानीय स्तर पर उनकी फसल को लेकर प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण, फसल का उचित मूल्य देने का प्रयास आदि काम किये जा सकते हैं.

यदि इस ऋण माफी की मानसिकता को बढ़ाया गया तो कल अन्य कारोबारी भी इस तरह की मांग करने लगेंगे. जिसका बुरा असर देश की अर्थव्यवस्था और बैंकों की स्तिथि पर पड़ेगा. इसलिये हमारी मांग है कि सरकारें ऋण माफी की राजनीति से हटकर वास्तव में किसानो की दशा सुधारने के लिये प्रयास करे.

Source : News Nation Bureau

gujarat government Chhattisgarh Government farmers debt waiver Debt Waiver
      
Advertisment