logo-image

सोशल मीडिया पर वायरल शरीयत विरोधी साइन बोर्ड का क्या है सच? फैक्ट चेक में हुआ खुलासा

शल मीडिया पर कथित भारतीय सेना द्वारा शरीयत विरोधी मैसेज वाले साइनबोर्ड की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं

Updated on: 21 Jul 2021, 10:50 PM

नई दिल्ली:

देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग के बीच, सोशल मीडिया पर कथित भारतीय सेना द्वारा शरीयत विरोधी मैसेज वाले साइनबोर्ड की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं. साइनबोर्ड पर लिखा है, “आप शरिया मुक्त क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं. कृपया अपनी घड़ियों को 1400 साल आगे सेट करें". कुछ लोगों ने दावा किया है कि बोर्ड को भारत—पाक सीमा पर देखा गया है.  वहीं, इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि बोर्ड पर मौजूद टेक्स्ट को तोड़ा मरोड़ा गया है. मूल साइनबोर्ड संयुक्त राज्य-मेक्सिको सीमा का है, और यह मेक्सिको में हथियार लेने के खिलाफ चेतावनीभरा मैसेज के लिए लगाया है.

यह भी पढ़ेंःTMC सांसदों ने पेगासस स्पाइवेयर फोन टैपिंग मामले में किया विरोध प्रदर्शन

रिवर्स इमेज सर्च की मदद से पाया गया कि ओरिजनल तस्वीर अमेरिकी पत्रकार मौली ओ'टोल द्वारा 2010 में प्रकाशित की गई थी. ओरिजनल तस्वीर में, साइनबोर्ड पर अंग्रेजी और स्पेनिश में लिखा है"मेक्सिको में हथियार और गोला-बारूद अवैध". वहीं, तस्वीर के ​विवरण में लिखा है, "सैन लुइस में सीमा पर लगा एक बोर्ड मेक्सिको में हथियार लाने के खिलाफ चेतावनी का मैसेज देता है. अमेरिकी अटॉर्नी डेनिस बर्क का कहना है कि मेक्सिको में हथियारों की तस्करी एक बड़ी समस्या है.

यह भी पढ़ें : मेडिकल टीम की निगरानी में तेज गेंदबाज आवेश खान, मैच से बाहर: BCCI

यह तस्वीर मौली ओ'टोल द्वारा दक्षिण-पश्चिम सीमा के पार 852-मील की 72-घंटे की यात्रा पर ली गई उन तस्वीरों में से एक थी, जिनकों वापसी से पहले क्लिक किया गया था. सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, मेक्सिको और कनाडा में अपराधों में इस्तेमाल होने वाले हथियारों का प्राथमिक स्रोत संयुक्त राज्य अमेरिका है। अमेरिकी सरकार के जवाबदेही कार्यालय की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि मेक्सिको में जब्त की गई 70 प्रतिशत बंदूकें अमेरिकी मूल की हैं. हमने आगे पाया कि विचाराधीन छवि वर्षों से अलग-अलग साइटों पर अलग-अलग पाठ के साथ प्रसारित हो रही है. यही तस्वीर पहले अमेरिकी सीमा से प्रसारित की गई थी. हमने आगे पाया कि ये तस्वीरें सालों से अलग-अलग साइटों पर अलग-अलग टैक्स्ट के साथ प्रसारित हो रही हैं, इससे पहले यही तस्वीर अमेरिकी सीमा से प्रसारित की गई थी.