क्या है स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट , 12 प्वाइंट में समझे सिफारिश... लंबे समय से किसानों की रही है मांग
किसान चाहे महारष्ट्र के हों या फिर मध्यप्रदेश के सभी स्वामीनाथन आयोग की बात करते हैं. तो आइए जानते हैं कि स्वामीनाथन कौन थे और उनके आयोग की सिफ़ारिश क्या थी?
नई दिल्ली:
पिछले कुछ दिनों में किसानों के सब्र का बांध टूट गया है और नतीजतन वह सड़कों पर उतर आए हैं. यूपीए की पूर्ववर्ती सरकार से लेकर अब तक की मोदी सरकार भले ही अपने भाषण में किसानों (Farmers) की आमदनी दोगुनी और अन्य हितों की बात करे लेकिन सच यही है कि किसानों की पुरानी मांग अब भी पूरी नहीं हुई है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देश भर के किसान 29 और 30 नवंबर को दिल्ली में जमा हो रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 29 नवंबर की सुबह किसान बिजवासन से 26 किलोमीटर पैदल मार्च करते हुए शाम करीब पांच बजे रामलीला मैदान पहुंचेंगे. वहीं 30 नवंबर को संसद की ओर मार्च करेंगे. किसानों की मांग एक बार फिर से वही है किसानों की पूर्ण कर्ज़माफ़ी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश. किसान चाहे महारष्ट्र के हों या फिर मध्यप्रदेश के सभी स्वामीनाथन रिपोर्ट (swaminathan report) की बात करते हैं. तो आइए जानते हैं कि स्वामीनाथन कौन थे और उनके आयोग की सिफ़ारिश (swaminathan commission report) क्या थी?
कौन हैं स्वामीनाथन?
प्रोफ़ेसर स्वामीनाथन (swaminathan) का पूरा नाम एमएस स्वामीनाथन है और ये पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है. उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए.
'हरित क्रांति' कार्यक्रम के तहत ज़्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज ग़रीब किसानों के खेतों में लगाए गए थे. इस क्रांति ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से उबारकर 25 वर्ष से कम समय में आत्मनिर्भर बना दिया था. उस समय से भारत के कृषि पुनर्जागरण ने स्वामीनाथन को 'कृषि क्रांति आंदोलन' के वैज्ञानिक नेता के रूप में ख्याति दिलाई. उनके द्वारा सदाबाहर क्रांति की ओर उन्मुख अवलंबनीय कृषि की वकालत ने उन्हें अवलंबनीय खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में विश्व नेता का दर्जा दिलाया. स्वामीनाथन को 'विज्ञान एवं अभियांत्रिकी' के क्षेत्र में 'भारत सरकार' द्वारा सन 1967 में 'पद्म श्री', 1972 में 'पद्म भूषण' और 1989 में 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था.
क्या है स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश? (swaminathan commission report)
प्रोफ़ेसर स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नवंबर 2004 को नेशनल कमीशन ऑन फारमर्स (राष्ट्रीय किसान आयोग) बना था. दो सालों में इस कमेटी ने छह रिपोर्ट तैयार की. इस रिपोर्ट में खेती में सुधार के लिए तमाम बातें कही गई थीं.
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स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश (swaminathan commission report) की यह है मुख्य बातें
- किसानों को फ़सल उत्पादन में लगने वाले असल मूल्य से पचास प्रतिशत ज़्यादा दाम दिए जाएं.
- किसानों को अच्छी पैदावार के लिए बेहतर क्वालिटी के बीज कम से कम दामों में मुहैया कराए जाएं.
- किसानों की पैदावार बढ़ाने से जुड़ी ज़रूरी ज्ञान हेतु गांवों में विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल का निर्माण किया जाए.
- महिलाओं को खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी करें.
- किसानों को प्राकृतिक आपदाओं की वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए कृषि ज़ोखिम फंड बनाया जाए
- सरप्लस और इस्तेमाल नहीं हो रही ज़मीन के टुकड़ों का भूमिहीन लोगों के बीच वितरण किया जाए.
- खेती वाली ज़मीन और जंगल की भूमि को कॉरपोरेट आदि काम के लिए नहीं दिया जाए.
- देश के सभी किसानों को हर फ़सल के लिए फ़सल बीमा की सुविधा मिले.
- किसानों को खेती में मदद करने के लिए सरकार की तरफ से कर्ज़ की व्यवस्था की जाए और ब्याज दर कम करके चार फीसदी किया जाए.
- प्राकृतिक आपदा या संकट से जूझ रहे इलाकों के किसानों के लिए हालात सामान्य होने तक कर्ज वापसी में राहत दी जाए.
- बार-बार प्राकृतिक आपदाओं के हालात में एग्रिकल्चर रिस्क फंड का गठन किया जाए, जिससे हमारे देश के किसानों की आर्थिक मदद हो पाए.
- देश में ग़रीबी रेखा से नीचे रह रहे 28 फीसदी भारतीय परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा का इंतज़ाम किए जाए.
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