/newsnation/media/post_attachments/images/2019/08/02/modimasterplan-82.jpg)
आखिर क्या है जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार का मास्टर प्लान
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में 25000 अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती का फैसला कर देश के राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के घाटी दौरे से लौटने के बाद सरकार ने भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती का फैसला किया है. इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार राज्य में कुछ बड़ा करने जा रही है. लेकिन सरकार क्या करने जा रही है, इसका अंदाजा किसी को नहीं है. इस बीच शुक्रवार को भारतीय वायुसेना को भी हाई अलर्ट कर दिया गया है, जिससे सरगर्मी और बढ़ गई है.
यह भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर में हाई अलर्ट पर वायुसेना, उमर अब्दुल्ला ने पूछा- ये हो क्या रहा है
सुरक्षाबलों की तैनाती के ये कारण तो नहीं?
विधानसभा चुनाव: राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव कराए जाने हैं. माना जा रहा है कि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के साथ जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. हो सकता है विधानसभा चुनाव में हिंसा और आतंकवादियों की चुनौती के मद्देनजर राज्य में सुरक्षाबलों की भारी संख्या में तैनाती की जा रही है. हालांकि यह बात दीगर है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में न तो बड़े पैमाने पर हिंसा हुई और न ही आतंकवादी घटनाएं घटीं, फिर विधानसभा चुनाव के लिए ऐसा क्यों हो रहा है?
धारा 35A को हटाने की तैयारी : मोदी सरकार के सत्तानशीन होने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर से धारा 35A के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे थे. इस पर एक तरह से राष्ट्रीय बहस भी छिड़ गई. कई बार टीवी पर प्राइम टाइम में धारा 35A को लेकर बहस हुई. इस धारा की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद माना जा रहा है कि सरकार कश्मीर को लेकर आक्रामक मूड में है और धारा 35A को हटाने जा रही है. हालांकि कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के नाते सरकार अभी इसमें हाथ नहीं डालेगी, लेकिन राज्य में सुरक्षाबलों की बड़े पैमाने पर तैनाती और वायुसेना को हाई अलर्ट पर करने से सरगर्मी और बढ़ गई है.
यह भी पढ़ें : गनर को लिए बिना ही बाहर चले गए आजम खान, रामपुर पुलिस ने जारी किया नोटिस
आतंकवादियों के खिलाफ बड़ा अभियान : भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती का एक कारण यह भी हो सकता है कि सरकार आतंकवादियों से एकमुश्त लड़ाई लड़ने के मूड में है. माना जा रहा है कि सरकार सुरक्षाबलों से एक साथ मोर्चा खोलकर उनके सफाये की रणनीति पर काम कर रही है. पुलवामा हमले के पहले से ही सरकार जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन ऑल आउट पर काम कर रही है. इसमें सरकार को भारी सफलता भी मिली है. बुरहान वानी, लतीफ अहमद डार उर्फ लतीफ टाइगर, समीर टाइगर, नसीर पंडित, अफ्फाक बट, सब्जार बट, अनीस, अश्फाक डार, वसीम मल्ला और वसीम शाह जैसे बड़े आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने मौत के घाट उतारा है. माना जा रहा है कि सरकार एकमुश्त लड़ाई लड़कर आतंकवादियों का समूल नाश करने की तैयारी में है.
यह भी पढ़ें : टीम इंडिया के कोच पद के लिए BCCI को मिले 2000 आवेदन, नही मिला कोई बड़ा नाम
पुलवामा हमले के बाद आक्रामक हो गई है सरकार
इस साल की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों के बड़े हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इस भीषण और वीभत्स आतंकवादी हमले के बाद सरकार आक्रामक मूड में आ गई थी. सरकार ने इसका बदला लेने के लिए पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर आतंकवादियों के अड्डे को ध्वस्त भी किया था. उसके बाद से मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में न सिर्फ आतंकियों, बल्कि अलगाववादियों पर भी कड़े तेवर अपना लिए थे. अलगाववादियों के वित्तीय लेन-देन की जांच की शुरुआत हुई, जिसमें कई अलगाववादी नेताओं के तार पाकिस्तान से जुड़े मिले. इसके बाद उन नेताओं के खिलाफ एनआई जांच कर कार्रवाई कर रही है.