Me Too: मीटू कैंपेन के तहत कला, बॉलीवुड और मीडिया जगत के बहुत से संपन्न और पढ़ें लिखे लोगों के नाम सामने आ रहे हैं. इससे यह साबित हो जाता है कि कमी समाज की बनावट और लोगों की मानसिकता में है. परेशानी उस समाज के साथ है जो महिला को कम आंकता है, उन्हें अपनी बात कहने से रोकता है और उन्हें केवल उपभोग की वस्तु समझता है. यही वजह है कि कानूनी प्रावधानों महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही है.
ऐसे में मीटू जैसे कैंपेन की वजह से महिलाएं आज सामने आ रही है और खुल कर अपने साथ हुई यौन उत्पीड़न की घटनाओं को साझा कर रही हैं. इसके बाद से ही एक आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है. बड़ी संख्या में लोग मीटू मूवमेंट से जुड़ रहे हैं और इसकी सराहना कर रहे हैं. असल में इस आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य है लोगों विशेषतौर पर महिलाओं और बच्चों में यौन उत्पीड़न के बारे में जागरूकता लाना. उन्हें यह विश्वास दिलाना कि यदि आपके साथ कभी भी कहीं भी यौन उत्पीड़न हुआ है या किसी की वजह से आपने असहज महसूस किया है तो आपको पूरा अधिकार है कि आप पुलिस में शिकायत दर्ज कराए. यौन उत्पीड़न के खिलाफ़ विशाखा गाइडलाइन के कानूनी प्रावधान भी मौजूद हैं.
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पर क्या आप उस पहली महिला को जानते हैं जिसकी वजह से आज हजारों लाखों महिलाएं अपने साथ हुई उत्पीड़न की घटनाओं को बयान कर पा रही हैं. जिनकी वजह से मीटू कैंपेन आज सबके लिए अभिव्यक्ति का माध्यम बन गया है.
कब और कहां से हुई Me Too की शुरुआत -
मीटू मूवमेंट की शुरुआत साल 2006 में हॉलीवुड से हुई थी. इसकी शुरुआत अमेरिकी सिविल राइट्स एक्टिविस्ट तराना बर्क ने की थी. हालांकि यह मीटू कथन बीते साल अक्टूबर 2017 में प्रचलन में आया. जब अमेरिकी एक्ट्रेस एलिसा मिलानो ने ट्विटर पर यह लिखा कि महिलाओं को अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ खुल कर आवाज उठानी चाहिए. मैं महिलाओं को सुझाव दूंगी कि वह मीटू शब्द का प्रयोग करें ताकि सबका ध्यान इस तरह की परेशानियों की ओर जाए. अक्टूबर 2017 में इस आंदोलन ने हॉलीवुड में जोर पकड़ा और हॉलीवुड के सबसे बड़े प्रोड्यूसर हार्वी विंस्टीन के खिलाफ 20 से ज्यादा एक्ट्रेसेज सामने आईं. इन सभी एक्ट्रेसेज ने बताया कि जब उन्होंने हार्वी के साथ काम किया था तब हार्वी ने उनके साथ यौन उत्पीड़न किया था. इसके बाद एक के बाद हॉलीवुड के कई बड़े नाम यौन शोषण के रूप में सामने आए. इसमें केविन स्पेसी जैसे बड़े एक्टर का नाम भी शामिल था.
भारत मेें Me Too की शुरूआत -
हॉलीवुड में इसके बाद कई एक्ट्रेस और कर्मियों ने अपने अनुभव साझा किए थे. जिसके बाद मीटू मूवमेंट कई देशों तक पहुंचा था. भारत में बीते वर्ष भी कई महिलाओं ने मीटू मूवमेंट के तहत अपनी साथ हुई घटनाओं को साझा किया था, पर कुछ समय बाद यह सब कुछ शांत हो गया था.
इस आंदोलन की पहली आधिकारिक सालगिरह के आस-पास भारत में भी यह मूवमेंट जोर पकड़ रहा है. आज एक साल बाद बॉलीवुड में इस आंदोलन की शुरुआत का श्रेय तनुश्री को जाता है, जिनसे प्रेरणा ले आम महिलाएं भी अपने साथ हुए अनुभवों को साक्षा कर रही हैं. बता दें कि तनुश्री दत्ता ने इंडस्ट्री के बारे में कई चौंका देने वाले खुलासे किये. तनुश्री ने एक्टर नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया.. नाना पाटेकर की हरकतों से परेशान होकर तनुश्री ने हॉर्न ओके फिल्म छोड़ दी थी. तनुश्री ने आरोप लगाया कि एम्एनएस कार्यकर्ताओं ने उनकी कार पर हमला किया था. तनुश्री साल 2010 में अपार्टमेंट फिल्म में नजर आई थीं.
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भारत में इन लोगों पर लगे हैं Me Too के तहत आरोप -
बता दें कि मी टू अभियान के भारत में रोजाना कई नाम जुड़ते जा रहे हैं. अभी तक इस सूची में गायक अभिजीत भट्टाचार्य, गीतकार और कॉमेडियन वरुण ग्रोवर, अभिनेता रजत कपूर, तमिल सॉन्ग राइटर वैरमुत्थु, मलयालम अभिनेता मुकेश माधवन, गणेश आचार्य, राकेश सारंग पर भी यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ के आरोप लगे. इनमें से कई लोगों ने बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन भी किया और सफाई दी. मीडिया में हिंदुस्तान टाइम्स के पूर्व कर्मचारी प्रशांत झा, टाइम्स ऑफ इंडिया, हैदराबाद से रेसीडेंट एडिटर के आर श्रीनिवासन, टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व कार्यकारी संपादक और डीएनए में काम कर चुके गौतम अधिकारी पर भी आरोप लग चुकें हैं.
Source : News Nation Bureau