क्या है मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाली 'खतना प्रथा' ?

सुप्रीम कोर्ट ने दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का खतना को चुनौती देने वाली याचिका पर होने वाली सुनवाई को 20 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का खतना को चुनौती देने वाली याचिका पर होने वाली सुनवाई को 20 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है।

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Vineeta Mandal
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क्या है मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाली 'खतना प्रथा' ?

आखिर क्या होता है खतना ? (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का खतना को चुनौती देने वाली याचिका पर होने वाली सुनवाई को 20 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है। इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं का खतना यानी महिला जननांग का छेदन करने की परंपरा संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है, जोकि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा और धर्म, नस्ल, जाति, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करने की गारंटी देता है।

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देशभर में मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाली परंपरा 'खतना' के विरोध और समर्थन में लोग दो भागों में विभाजित हो गए है लेकिन आज भी अधिकत्तर लोगों को इसकी पूर्ण जानकारी से नहीं है। तो आइए हम आपको बताते है कि असल में खतना किसे कहते है?

आखिर क्या है महिलाओं के साथ होने वाली क्रुर प्रकिया खतना?

1. इसमें महिला जननांग के एक हिस्से क्लिटोरिस को ब्लेड से काट कर खतना किया जाता है। वहीं कुछ जगहों पर क्लिटोरिस और जननांग की अंदरूनी स्किन को भी थोड़ा सा हटा दिया जाता है। ताकि उनमें सेक्स की इच्छा कम हो।

2. 15 साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़की का खतना किया जाता है। इस दौरान जननांग से काफी खून बहता है। मुस्लिम समुदाय के लोग इसे धार्मिक परंपरा बताकर सही ठहराने की कोशिश करते हैं।

3. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खतना चार तरीके का हो सकता है- पूरी क्लिटोरिस को काट देना, जननांग की सिलाई, छेदना या बींधना, क्लिटोरिस का कुछ हिस्सा काटना।

बता दें कि दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय 'खतना प्रथा' एक रिवाज के तौर पर काफी प्रचलित है लेकिन इस प्रथा को निभाने के लिए मुस्लिम बच्चियों को एक असहाय दर्द से गुजरना  पड़ता है।

वहीं इस मामले पर खतना के समर्थन में खड़े संगठन की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि खतना करने का इतना भी क्रूर भी नहीं है जितना इसे बताया जा रहा है।

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गौरतलब है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा था, 'यह संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है क्योंकि इसमें बच्ची का खतना कर उसको आघात पहुंचाया जाता है।'

केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि सरकार याचिकाकर्ता की दलील का समर्थन करती है कि यह भारतीय दंड संहिता (IPC) और बाल यौन अपराध सुरक्षा कानून (पोक्सो एक्ट) के तहत दंडनीय अपराध है।

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दूसरी तरफ अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि इस परंपरा (खतना) पर 42 देशों ने रोक लगा दी है, जिनमें 27 अफ्रीकी देश हैं।

Source : News Nation Bureau

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