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जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ पीएम की मुलाकात क्या रंग लाएगी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर में विभिन्न दलों के राजनेताओं के बीच आगे की राह पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक देश की राष्ट्रीय राजधानी में शुरू हो गई है.

Updated on: 24 Jun 2021, 05:25 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर में विभिन्न दलों के राजनेताओं के बीच आगे की राह पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक देश की राष्ट्रीय राजधानी में शुरू हो गई है. हालांकि. दोपहर 3 बजे पीएम के 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर शुरू हुई बैठक का कोई खास एजेंडा नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस तरह की पहली बैठक में भाग लेने वाले नेताओं ने पहले कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने के बारे में एजेंडा बहुत स्पष्ट है. बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उनके कैबिनेट सहयोगी जितेंद्र सिंह भी मौजूद हैं.

पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर बैठक में भाग लेने वाले 14 नेताओं में जम्मू-कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. उनमें से तीन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती हैं, जिन्हें 5 अगस्त, 2019 को परिवर्तन लागू करने के बाद छह महीने से एक साल के लिए जेल में डाल दिया गया था.

ऐसी खबरें हैं कि बैठक विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों की परिसीमन पर केंद्रित हो सकती है. फारूक अब्दुल्ला सहित नेशनल कांफ्रेंस के तीन सांसदों, जिन्होंने परिसीमन आयोग की बैठकों का बहिष्कार किया था, ने संकेत दिया है कि अगर आयोग के अध्यक्ष उनकी चिंताओं को दूर करते हैं तो वे कार्यवाही में शामिल होंगे क्योंकि एक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

नेशनल कांफ्रेंस और अन्य पार्टियों ने 5 अगस्त के फैसले और परिसीमन की कवायद को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जम्मू में कुछ समूह परिसीमन प्रक्रिया का कड़ा विरोध कर रहे हैं, क्योंकि 2011 की जनगणना केवल कश्मीर घाटी के पक्ष में होगी.

राजनीतिक दलों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक से पहले, परिसीमन आयोग ने बुधवार को केंद्र शासित प्रदेश के सभी 20 उपायुक्तों के साथ उनके जिलों से संबंधित भौतिक, जनसांख्यिकीय और प्रशासनिक मुद्दों पर आभासी चर्चा की। डेटा का उपयोग विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए किया जाना है. 

जम्मू-कश्मीर में नई विधायिका में 90 सीटें होंगी, जो पिछली विधानसभा की तुलना में सात अधिक हैं. सर्वदलीय बैठक उन खबरों के साथ हो रही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष से किसी तीसरे देश में मुलाकात की.

पिछले 22 महीनों में, कश्मीर दुनिया की सबसे लंबी इंटरनेट नाकाबंदी, महीनों के लिए सख्त कर्फ्यू और एक अभूतपूर्व बंद से गुजरा है जिसमें हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया था ताकि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ किसी भी विरोध को रोका जा सके.

ऐतिहासिक परिवर्तनों से पहले, जम्मू और कश्मीर भारत का एकमात्र राज्य था जिसका अपना अलग संविधान और ध्वज था. भाजपा और केंद्र सरकार ने निर्णयों का बचाव करते हुए कहा था वे नए कश्मीर में समृद्धि और विकास लाएंगे. कश्मीरी नेताओं ने कहा है कि वे विशेष दर्जे की बहाली पर अपने रुख पर कायम रहेंगे.

जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष भीम सिंह ने यहां पहुंचने के बाद कहा कि मैं यहां हूं क्योंकि मुझे (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के लिए) आमंत्रित किया गया है. जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए.

बैठक में भाग लेने वाले अन्य जम्मू-कश्मीर के नेताओं में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग, जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी) के नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी, सजाद लोन, कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष भीम सिंह और भाजपा के तीन नेता- रविंदर रैना, निर्मल सिंह और कविंदर गुप्ता हैं. बैठक में जम्मू-कश्मीर में पांच दलों का समूह पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) भी मौजूद है.