अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा (Jammu Kashmir Special Status) क्यों मिला हुआ है. वह देश के अन्य राज्यों की तुलना में अलग कैसे है. दरअसल, अनुच्छेद 370 (Article 370) और धारा (Article 35A) की वजह से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला है. ताजा मामले में जम्मू और कश्मीर में धारा 370 के खत्म होने की अटकलें हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार ने रविवार आधी रात को पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) और महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) सहित कई राजनेताओं को नजरबंद कर दिया.
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मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को ठप कर दिया गया है और स्थानीय केबल टीवी बंद कर दिया गया है. सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दिया गया है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गई है. लाउड स्पीकर से लोगों को घरों से न निकलने की सलाह दी जा रही है. कश्मीर यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं टाल दी गई हैं. सुबह 9:30 बजे से सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक होने जा रही है.
बताया जा रहा है कि सरकार धारा 35 ए को हटाने का फैसला कर सकती है. साथ ही परिसीमन को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं. इन घटनाओं के बीच धारा 370 के इतिहास के बारे में आप जरूर जानना चाहेंगे. आइये जानते हैं कि अनुच्छेद 370 का पूरा इतिहास क्या है और इसे जम्मू-कश्मीर में कैसे लागू किया गया.
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क्या है अनुच्छेद 370 (Article 370)
15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ. भारत में जितनी रियासते थीं उन्हें भारत में मिलाने का प्रारूप बनाया गया. 25 जुलाई 1947 को गवर्नर जनरल माउंटबेटन की अध्यक्षता में रियासतों को बुलाकर हिंदुस्तान या पाकिस्तान में विलय करने को कहा गया. उस विलय पत्र को सभी रियासतों को बांट दिया गया. उस प्रारूप पर रियासतों के राजा या नवाब को अपना नाम, पता, रियासत का नाम और सील लगाकर उस पर हस्ताक्षर करके उसे गवर्नर को देना था. बता दें कि 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरिसिंह ने रियासत को भारत में विलय को लेकर हस्ताक्षर किए थे. 27 अक्टूबर को माउंटबेटन ने इसे मंजूरी भी दे दी थी.
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17 अक्टूबर 1949 की घटना ने बदल दिया इतिहास
17 अक्टूबर 1949 को घटी घटना ने जम्मू-कश्मीर का इतिहास बदल दिया. जानकारी के मुताबिक संसद में गोपाल स्वामी अयंगार ने कहा कि वो जम्मू और कश्मीर को नए अनुच्छेद (Article) के अंतर्गत लाना चाहते हैं. कभी महाराजा हरिसिंह के दीवान रहे गोपाल स्वामी अयंगार पहली कैबिनेट में मिनिस्टर थे. इस पर संसद में उनसे सवाल पूछा गया कि आप ऐसा क्यों चाहते हैं.
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अयंगार का कहना था कि चूंकि आधे कश्मीर पर पाकिस्तान का कब्जा है और मौजूदा समय में राज्य में कई समस्याएं हैं. राज्य के आधे लोग इधर हैं और आधे लोग पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में फंसे हुए हैं. इन हालातों में राज्य के लिए अलग से धारा की जरूरत है. अभी जम्मू-कश्मीर में पूरे संविधान को लागू करना संभव नहीं हो पाएगा. उनका कहना था कि राज्य में अस्थायी तौर पर अनुच्छेद 370 लागू करना होगा. हालात के सामान्य होने पर राज्य से इस धारा को हटा लिया जाएगा.
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बता दें कि संसद में थोड़ी ही चर्चा के बाद इस आर्टिकल को पास कर दिया गया. गौरतलब है कि संविधान में जोड़ी गई यह सबसे आखिरी धारा है. भारतीय संविधान के 21वें भाग का 370 एक अनुच्छेद है. इस धारा के अंतर्गत 3 खंड हैं. तीसरे खंड के मुताबिक भारत का राष्ट्रपति संविधान सभा के परामर्श से अनुच्छेद 370 को कभी भी खत्म कर सकता है. चूंकि मौजूदा समय में संविधान सभा नहीं है, ऐसे में राष्ट्रपति को किसी से परामर्श लेने की जरूरत नहीं है.
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अनुच्छेद 370 के अंतर्गत विशेष अधिकार
- संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार
- किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति जरूरी
- 1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होता
- संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती. राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को खत्म करने का अधिकार नहीं
- अनुच्छेद 370 की वजह से अन्य राज्य के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते
- धारा 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता.
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