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ममता सरकार का सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन-फैसला आने तक नहीं होगी पेगासस मामले की जांच

पश्चिम बंगाल सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि न्यायिक आयोग का गठन समानांतर जांच नहीं है और नियमों के तहत इसका गठन किया गया है.

Updated on: 25 Aug 2021, 01:48 PM

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल सरकार ने पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए गठित जस्टिस लोकुर न्यायिक आयोग का बचाव करते हुए इसे जायज ठहराया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि न्यायिक आयोग का गठन समानांतर जांच नहीं है और नियमों के तहत इसका गठन किया गया है. हालांकि ममता सरकार ने कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर लेता है तब तक उसके द्वारा गठित आयोग की जांच आगे नहीं बढ़ेगी.

ममता सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है. बंगाल सरकार ने कहा कि इससे सुप्रीम कोर्ट में लंबित कार्यवाही पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हलफनामे में यह भी कहा गया है कि ये मुद्दा सार्वजनिक महत्व का है और राज्य के पास जनता का विश्वास बहाल करने के लिए एक आयोग गठित करने की शक्ति है. इसमें याचिकाकर्ता एनजीओ पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया गया है कि वह आरएसएस के करीब है.

हलफनामे में कहा गया कि जब केंद्र इस मामले को प्रतिबद्ध नहीं है और पेगासस पर टालमटोल करता है तो राज्य मूक दर्शक के रूप में बैठा नहीं रह सकता है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (रिटायर्ड) मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में गठित दो सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एनजीओ की याचिका पर बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था.