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बीजेपी को भी लग रहा कांग्रेस का रोग, बंगाल ईकाई में खींचतान

विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होने वाले कई टीएमसी दलबदलुओं ने हमारा साथ छोड़ दिया. पार्टी बनाने वाले कार्यकर्ता और नेता जिस तरह से दलबदलु नेताओं को महत्व दे रहे है, उससे हम उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.

Updated on: 24 Apr 2022, 12:20 PM

highlights

  • बाहर से आए नेताओं और पुराने कार्यकर्ताओं में खींचतान
  • आसनसोल उपचुनाव हारने के लिए अंतर्कलह जिम्मेदार
  • पार्टी आलाकमान फिलहाल संभाल नहीं पा रहा है द्वंद्व

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में पार्टी में दलबदलुओं को ज्यादा महत्व देने से बीजेपी के पुराने नेता नाखुश हैं. पुराने नेताओं और अन्य दलों के नए चेहरों के बीच लड़ाई राज्य में बीजेपी के लिए एक चिंता का विषय बन गई है, जो पिछले साल के विधानसभा चुनावों के बाद तेज होती जा रही है. वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध कार्यकर्ता, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में लड़ाई लड़ी और पार्टी बनाई, वे उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल बीजेपी के वरिष्ठों को लगता है कि नए लोगों को बहुत अधिक महत्व और प्रमुखता दिए जाने से पुराने कैडर नाखुश हैं.

बाहर से आए नेताओं को महत्व देने से नाराजगी
एक वरिष्ठ ने कहा, कैडर्स के बीच एक आम भावना है कि पार्टी के लीडर्स उनके बारे में कुछ नहीं सोच रहे है. राज्य में पार्टी बनाने के लिए दशकों की कड़ी मेहनत के बाद अब उनके साथ जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, वह निराशाजनक है. एक अन्य दिग्गज नेता ने बताया कि विधानसभा चुनावों के दौरान टीएमसी के दलबदलुओं को बहुत प्रमुखता दी गई थी और यह आज तक जारी है. उन्होंने कहा, विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होने वाले कई टीएमसी दलबदलुओं ने हमारा साथ छोड़ दिया. पार्टी बनाने वाले कार्यकर्ता और नेता जिस तरह से दलबदलु नेताओं को महत्व दे रहे है, उससे हम उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. पार्टी को भूलना नहीं चाहिए उन्होंने वर्षों तक सत्ताधारी पार्टी के हिंसक कार्यकर्ताओं से लड़ाई लड़ी और अब भी लड़ रहे हैं.

बंगाल बीजेपी में भ्रम और एकरूपता का अभाव
पश्चिम बंगाल बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि राज्य इकाई में पूरी तरह से भ्रम है और मुद्दों पर कोई स्पष्टता या एकरूपता नहीं है. आसनसोल लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी की हार का एक कारण पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी है. कई लोगों को लगता है कि टीएमसी के दलबदलु नेताओं को बहुत अधिक महत्व देना और वफादार कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, हर बीतते दिन के साथ राज्य नेतृत्व और पार्टी के वफादार नेताओं के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं. राज्य नेतृत्व सभी को एक साथ रखने में विफल हो रहा है. केंद्रीय नेतृत्व को विधानसभा चुनावों के बाद पिछले एक साल में पार्टी को हुए नुकसान को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए.

बीजेपी अध्यक्ष के विफल होने का आरोप
पश्चिम बंगाल बीजेपी के कामकाज पर टिप्पणी करते हुए एक नेता ने कहा, राज्य इकाई के नए अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने के छह महीने बाद भी डॉ सुकांत मजूमदार राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर सभी समितियों का गठन करने में विफल रहे हैं. इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने पुराने नेताओं और नए चेहरों के बीच मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पार्टी के निर्माण के लिए संघर्ष करने और आंदोलन का नेतृत्व करने वालों को महत्व दिया जाना चाहिए. समझना होगा कि बंगाल की स्थिति अन्य राज्यों से अलग है. बंगाल में सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विपक्षी कार्यकर्ताओं पर हमला किया. कई बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सत्ताधारी दल के हिंसक हमलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और पार्टी का निर्माण किया. घोष ने कहा, पार्टी को ममता बनर्जी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए सोचना होगा और उन्हें विश्वास में लेना होगा.