Welcome 2020: अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और धार्मिक सद्भाव को लेकर इस साल लोगों की है आशावादी सोच

एक सकारात्मक तरीके से वर्ष का अंत करते हुए अधिकांश भारतीय अपने जीवन के बारे में आशावादी बने हुए हैं.

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nitu pandey
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Welcome 2020: अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और धार्मिक सद्भाव को लेकर इस साल लोगों की है आशावादी सोच

नए साल को लेकर लोगों की आशावादी सोच( Photo Credit : IANS)

साल 2020 ने पूरी दुनिया में दस्तक दे दी है. नए साल के जश्न में लोग डूबे हैं. नए साल में लोगों की कई उम्मीदें होती है, कई सपने होते हैं. साल 2020 को लेकर लोगों की सोच बेहद ही आशावादी है. आईएएनस-सी वोटर स्टेट ऑफ द नेशन ने यह सर्वे किया है. एक सकारात्मक तरीके से वर्ष का अंत करते हुए अधिकांश भारतीय अपने जीवन के बारे में आशावादी बने हुए हैं. आईएएनएस-सी वोटर स्टेट ऑफ द नेशन पोल 2020 में 23 राज्यों के 67 फीसदी से अधिक लोगों ने अपने व्यक्तिगत जीवन और देश के लिए बेहतर परिस्थितियों के साथ आने वाले वर्ष की उम्मीद की है. अलग-अलग 23 राज्यों के 1,600 उत्तरदाताओं के बीच किए गए सर्वेक्षण में 67.5 फीसदी लोगों ने कहा कि आना वाले वर्ष में उनके व्यक्तिगत जीवन में सुधार होगा, जबकि 20.2 फीसदी ने कहा कि नववर्ष उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं लाएगा.

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हालांकि केवल 12.4 फीसदी लोगों ने माना कि नया साल बीतने वाले वर्ष जितना अच्छा नहीं होगा और उन्होंने इस प्रश्न पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी.

अर्थव्यवस्था को लेकर अधिकांश भारतीय हैं आशावान

भारतीय देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक रुख बनाए हुए है, ऐसा विकास मापदंडों के छह साल के निचले स्तर जाने के बाद भी है और बेरोजगारी और महंगाई आम नागरिकों पर असर डाल रही है. जनता के बड़े तबके 62 फीसदी का कहना है कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की आर्थिक स्थिति ठीक हो जाएगी और 2019 की स्थितियों के बावजूद भी 2020 में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. लोगों की समग्र मनोदशा आशावान है. वे नए साल की सुबह का स्वागत आशा व सकारात्मकता के साथ करते हैं.

दूसरी ओर, सर्वेक्षण में शामिल 23.5 फीसदी लोगों को लगता है कि अर्थव्यवस्था खराब रहेगी जबकि 14.5 फीसदी को कोई भी बदलाव नहीं होता दिख रहा है.

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आंतरिक व महिला सुरक्षा को लेकर सकारात्मक हैं लोग : सर्वे

भारतीय नागरिक देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर सकारात्मक हैं. 78.4 प्रतिशत को लगता है कि आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से आने वाला साल बेहतर होगा.देशभर में 23 राज्यों के 1600 लोगों पर यह सर्वे किया गया. जहां 78.4 का मत है कि आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से आने वाला साल बेहतर होगा, वहीं 11.1 को लगता है कि स्थिति ऐसी ही रहेगी. 10.5 प्रतिशत को लगता है कि आने वाले साल में हालात और बिगड़ेंगे.

महिला सुरक्षा का सवाल इस सूची में दूसरे स्थान पर है. 68.3 प्रतिशत लोग इसे लेकर सकारात्मक रुख रखते हैं. वहीं 16.6 प्रतिशत को लगता है कि हालात ऐसे ही रहेंगे. 15.2 ने कहा है कि स्थिति और बिगड़ेगी.

इसमें भी 67.5 प्रतिशत के अंतर के साथ सकारात्मक पक्ष विजय होता दिखाई देता है.

नववर्ष में धार्मिक सद्भाव बढ़ने की उम्मीद कर रहे देशवासी

देश के 50 फीसदी से अधिक लोगों का मानना है कि आने वाला साल देश में धार्मिक/अंतर-सामुदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए एक सकारात्मक संदेश देगा.सर्वेक्षण में देश के विभिन्न स्थानों से कुल 1,600 लोग शामिल किए गए। इनमें से 53.7 फीसदी लोगों को लगता है कि 2020 विभिन्न धार्मिक विश्वासों और समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध को मजबूत करने का काम करेगा.

सर्वे में शामिल लगभग 22.4 फीसदी लोगों का मानना है कि धार्मिक सामंजस्य और जातिगत समीकरणों में कोई परिवर्तन नहीं आएगा.यह दशार्ता है कि लोग राजनीतिक घटनाक्रम के संदर्भ में अनिश्चित हैं.लगभग 24 फीसदी लोगों का मानना है कि यह आगे चलकर घट जाएगा, जो दर्शाता है कि वे इन व्यापक विरोध प्रदर्शनों के चश्मे से परिस्थितियों को देख रहे हैं.

सर्वेक्षण के दौरान दर्ज इन प्रतिक्रियाओं का महत्व है, क्योंकि वर्तमान समय में देश के विभिन्न हिस्सों में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं.

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सर्वेक्षण के अनुसार, 29.8 फीसदी लोगों ने विभिन्न धार्मिक विश्वासों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए सकारात्मक रुझान व्यक्त किए हैं. इसलिए यह स्पष्ट है कि इन विरोधों की पृष्ठभूमि में लोग देश के सामाजिक ताने-बाने में धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए आशान्वित बने हुए हैं.

Source : IANS

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