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सावधान : संकट में पड़ने वाला है मानव जीवन, भारत में इस कदर बढ़ जाएगी गर्मी

संकट में पड़ने वाला है मानव जीवन, भारत में इस कदर बढ़ जाएगी गर्मी

Updated on: 22 Jul 2022, 10:47 AM

highlights

  • 78 साल बाद लू बढ़ने का खतरा
  • सदी के अंत तक बढ़ सकता है भारत का तापमान
  •  भारत में चार गुना लू बढ़ने की आशंका 

नई दिल्ली:

भारत में एक सदी ऐसी आने वाली है... जिसमें भारत का तापमान बहुत बढ़ जाएगा. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस सदी के अंत तक भारत में औसत तापमान में 2.4 डिग्री से लेकर 4.4 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हो जाएगी. औऱ ये भी बताया गया है कि साल 2100 तक यानि की 78 साल बाद गर्मियों में लू चलने का खतरा तीन से चार गुना तक बढ़ जाएगा. Indian Food Policy Research Institute की इस रिपोर्ट में दक्षिण एशिया को जलवायु परिवर्तन का हॉटस्पॉट बताया गया है कि इसकी वजह से मौसम संबंधी खतरनाक परिवर्तन सामने आएंगे साथ ही साथ इसका असर अनाज उत्पादन पर भी पड़ेगा.

आपको बता दें स्टडी में पाया गया है कि सदी के अंत तक पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में वार्षिक औसत तापमान 1.2 से 4.3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की आशंका है. पिछली कुछ सदियों से दक्षिण एशिया में तापमान में बड़े पैमाने पर लगातार बढ़ोतरी हो रही है और आगे भविष्य में इसके रुकने की उम्मीद नहीं दिख रही बल्कि इसके बढने की उम्मीदें ज्यादा नजर आ रही है. साथ ही साथ बताया गया है कि ज्यादा गर्मी, लंबे समय तक सूखा और बाढ़ जैसी घटनाएं अब और भी ज्यादा तीव्रता के साथ हो रही हैं. वहीं आपको बता दें कि 1980 के दशक के बाद से ही दक्षिण एशिया में मौसम संबंधी सीमाएं बदतर हो गई हैं. जहां एक तरफ गर्मियों के दिन बढ़ गए हैं और बारिश ज्यादा खतरनाक हो गई है.

वही अगर बात करें भारत में पिछले कुछ दशकों में गर्मियों में मानसून के जो हालात थे उनमें बारिश के मौसम में काफी  गिरावट आई है औऱ इसकी सबसे ज्यादा कमी भारत के गंगा किनारे के इलाकों में देखी गई है. औऱ 1950 के दशक के बाद से सूखा पड़ने की संख्या बढ़ी है जिसके बाद से लगातार इसका दायरा बढ़ता गया है वही दूसरी तरफ, छोटे-छोटे इलाकों में अचानक ज्यादा वर्षा की घटनाएं होने से सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों में बाढ़ का जोखिम भी बढ़ गया है और साथ ही साथ मानसून के बाद खतरनाक चक्रवाती तूफान आने की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है.

मिंट के मुताबिक बताया गया है कि अगले 30 वर्षों में दुनिया में अनाज उत्पादन की दर बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि तापमान बढ़ने के साथ भूमि की औसत उत्पादकता में भी गिरावट आ रही है. IFPRI के साउथ एशिया के निदेशक शहीदुर राशिद ने कहा कि कोरोना ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है. जलवायु में तेजी से बदलाव और पर्याप्त फंड की कमी के कारण क्षेत्र में 2030 तक भुखमरी को खत्म करने के लक्ष्य को पूरा करना बहुत मुश्किल हो जाएगा.