फंड इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट एक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय बैंक की स्थापना करेंगे: वित्त मंत्री
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि बजट के दौरान हमने उल्लेख किया था कि हम फंड इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट एक्टिविटी के लिए एक राष्ट्रीय बैंक की स्थापना करेंगे.
नई दिल्ली:
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को कहा कि बजट (Budget) के दौरान हमने उल्लेख किया था कि हम फंड इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट एक्टिविटी (fund infrastructure and developmental activities) के लिए एक राष्ट्रीय बैंक की स्थापना करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (डीएफआई) की स्थापना को मंजूरी दे दी है, ये एहसास होने पर कि डीएफआई (DFI) की स्थापना के लिए विकास और फाइनेंशियल उद्देश्य दोनों मायने रखेंगे. निर्मला सीतारमण ने कहा कि डीएफआई लंबी अवधि के फंड जुटाने में मदद करेगा और बजट 2021 प्रारंभिक राशि प्रदान करेगा. इस साल कैपिटल इन्फ्यूजन 20,000 करोड़ रुपये होगा, प्रारंभिक अनुदान 5,000 करोड़ रुपये, अतिरिक्त वेतन वृद्धि 5,000 करोड़ रुपये की सीमा के भीतर की जाएगी.
During Budget, we had mentioned that we will be setting up a national bank to fund infrastructure and developmental activities: Finance Minister Nirmala Sitharaman pic.twitter.com/vmZu0K3qYt
— ANI (@ANI) March 16, 2021
कैबिनेट ने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन को मजबूत करने के लिए 9129.32 करोड़ रुपये संशोधित लागत अनुमान को मंजूरी दे दी है.वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जिन बैंकों का निजीकरण होने की संभावना है उनके निजीकरण होने के बाद भी कार्य जारी रहेगा और कर्मचारियों की इंटरेस्ट की भी रक्षा होगी.
जिन बैंकों का निजीकरण होने की संभावना है उनके निजीकरण होने के बाद भी कार्य जारी रहेगा और कर्मचारियों की इंटरेस्ट की भी रक्षा होगी: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण pic.twitter.com/UeIQ7LdumY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 16, 2021
बता दें कि सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण के विरोध में सोमवार से लाखों की संख्या में बैंक कर्मचारी दो-दिवसीय हड़ताल पर हैं. इससे बैंकिंग सेवाओं के प्रभावित होने की संभावना है. नौ यूनियनों के सम्मिलित संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन द्वारा ऐलान किए गए इस हड़ताल में करीब दस लाख बैंक कर्मी और अधिकारी शामिल होंगे.
बैंक यूनियनों और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के बीच 4, 9 और 10 मार्च को हुई सुलह बैठक के विफल होने के बाद इस हड़ताल का आह्वान किया गया था. बैंक यूनियनों ने सरकार से सरकारी बैंकों के निजीकरण के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है, जिसमें कई लोगों की नौकरी चली जाएगी.
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पिछले महीने पेश किए गए केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी विनिवेश योजना के हिस्से के रूप में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. इससे पहले, सरकार ने वर्ष 2019 में आईडीबीआई बैंक में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर उसका निजीकरण कर चुकी है और इसके साथ ही पिछले चार वर्षो में सार्वजनिक क्षेत्र के 14 बैंकों का विलय किया गया है.
हड़ताल के शुरुआती कुछ घंटों में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की कई शाखाओं में बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित होती दिखाई दी. इनका प्रभाव जमा-निकासी, ऋण अनुमोदन और चेक क्लीयरेंस पर पड़ा. हालांकि, कई एटीएम सामान्य रूप से कार्य करते दिखाई पड़े.
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